दीक्षा के बिना व्यक्ति को मोक्ष का द्वार प्राप्त नहीं होता
चौहटन. संसार के सुखों को त्याग अध्यात्म मार्ग पर संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले दीक्षार्थी मुमुक्षु रजत चोपड़ा, संयम पारख का जैन श्री संघ व श्री लब्धिनिधान तीर्थ ट्रस्ट मण्डल की ओर से अभिनंदन किया गया। मुमुक्षु रजत चोपड़ा के पिता महेंद्र चोपड़ा व माता भावना देवी चोपड़ा का जैन श्री संघ व श्री लब्धिनिधान ट्रस्ट मंडल की ओर से बहुमान व अभिनंदन किया गया। जैन श्री संघ के अध्यक्ष हीरालाल धारीवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन में जब तक अंतराय कर्म का क्षय नहीं होता है तब तक वह जीव अपनी आत्मा के कल्याण के लिए प्रयासरत रहता है । मुमुक्ष रजत चोपड़ा व संयम पारख के चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय हुआ। 23 जनवरी को महासमुंद छत्तीसगढ़ की धरा पर वे अपना सर्वस्व समर्पण कर दीक्षा अंगीकार करने जा रहे हैं। मुमुक्षु रजत चोपड़ा ने कहा कि जीव 84 लाख जीवयोनियों में भटकता है लेकिन मानव जीवन ही एक ऐसी योनी है जहां पर जीव धर्म के संस्कारों के साथ जुड़कर अपनी आत्मा का कल्याण दीक्षा लेकर कर सकता है। हमारे जैन शास्त्रों में दीक्षा के बिना व्यक्ति को मोक्ष का द्वार प्राप्त नहीं होता है। मुमुक्षु संयम पारख ने कहा कि एक और जगत के सम्रगजीव भौतिक जगत के इंद्रिया विषयों में अकण्ठ डूबे हुए भौतिक सुख- मौज -शौक- मनोरंजन को जीवन का एकमात्र लक्ष्य मानते हैं ऐसे विषय काल में त्याग ने जैसा संसार लेने जैसा संयम और पानी जैसा मोक्ष यह बात आपको यौवानकाल में समझ आ गई यह आपकी परिपक्वता है। लब्धिनिधान पाश्र्वनाथ मणिधारी जैन श्वेतांबर तीर्थ में ट्रस्ट मण्डल की ओर से मुमुक्षु रजत चोपड़ा व मुमुक्षु संयम पारख को अभिनंदन पत्र भेंट कर बहुमान किया गया।
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