बाड़मेर

गिरल पॉवर प्लांट शुरू होगा या नहीं, जानिए क्या हो रहा है निर्णय

राज्य सरकार अब पहले कोयले पर फैसला करने की तैयारी में है। जालिपा और कपूरड़ी का कोयला जो भादरेस पॉवर प्लांट को दिया जा रहा है, उसमें अधिशेष की मात्रा बहुत ज्यादा है। इससे यह पॉवर प्लांट संचालित हो सकते है। यह कोयला गिरल पॉवर प्लांट को देने से पहली समस्या का समाधान होगा।

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Mar 17, 2025

बाड़मेर.
गिरल पॉवर प्लांट को लेकर सरकारी स्तर पर अब प्रयास तेज होने लगे है। 2000 करोड़ की लागत के इस पॉवर प्लांट में 1500 करोड़ से अधिक का घाटा होने के बाद स्थितियां यह है कि 500 करोड़ में भी इसके खरीददार नहीं मिल रहे है। ऐसी स्थिति में अब सरकार इसको अपने हाथों में लें या किसी प्राइवेट कंपनी को चलाने को दे दे इस पर विमर्श है।
गिरल लिग्नाइट पॉवर प्लांट सरकार के लिए 2014 के बाद से सफेद हाथी साबित हो रहा है। 125-125 मेगावाट की दोनों इकाइयां बंद पड़ी है। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से 6 प्रतिशत सल्फर वाला कोयला डालकर मशीनों का मटियामेट कर दिया और पूरा प्लांट ही चॉक हो गया। कोयले को बदलने की बजाय मशीनों के कलपुर्जे बदलने में समय गंवा दिया गया। उधर, अच्छा कोयला कपूरड़ी और जालिपा की खादानों का था। जिसमें केवल 1 प्रतिशत सल्फर थी, यह भादरेस के निजी पॉवर प्लांट को मिला। यह पॉवर प्लांट बेहतरीन तरीके से चल गया।
अब पहले कोयले पर होगा फैसला
राज्य सरकार अब पहले कोयले पर फैसला करने की तैयारी में है। जालिपा और कपूरड़ी का कोयला जो भादरेस पॉवर प्लांट को दिया जा रहा है, उसमें अधिशेष की मात्रा बहुत ज्यादा है। इससे यह पॉवर प्लांट संचालित हो सकते है। यह कोयला गिरल पॉवर प्लांट को देने से पहली समस्या का समाधान होगा।
फिर पॉवर प्लांट पर निर्णय होगा
कोयले का यह निर्णय होने के बाद इस सरकारी उपक्रम को सरकार चलाएगी या फिर निजी हाथों में देना है,इस पर अंतिम निर्णय की तैयारियां है। जानकारी अनुसार 2000 करोड़ के करीब की लागत से बने इस पॉवर प्लांट से 1500 करोड़ का घाटा हो चुका है। अब इस पॉवर प्लांट को लागत कीमत 2000 करोड़ छोडि़ए 500 करोड़ तक भी कोई निवेशक लेने को तैयार नहीं है। वजह उनको इस पर बड़ी रकम लगानी पड़ेगी।
औने-पौने दाम या मुफ्त में देकर बिजली की कीमत में फायदा
जानकार सूत्रों के अनुसार एक विकल्प यह भी रखा जा रहा है कि इस पॉवर प्लांट को निजी कंपनी को ही औने-पौने दामों या नि:शुल्क दे दिया जाए। कोयला भी जालिपा-कपूरड़ी से दिया जाए। इसके बाद बिजली की कीमत सरकार तय करेगी। यह कीमत इतनी कम होगी कि सरकार को प्लांट संचालित होने पर आने वाले पांच-दस साल में फायदा हों।
गिरल को नहीं चलाया तो फिर कुछ नहीं बचेगा
प्रदेश में विद्युत संकट के चलते अब गिरल की महत्ता भी बढ़ गई है। दूसरा गिरल के 2014 के बाद बंद रहने से प्लांट की हालत भी खस्ता हो गई है। इस प्लांट पर इस साल में निर्णय नहीं हुआ तो फिर मुफ्त में भी कोई लेने को तैयार नहीं होगा।

Published on:
17 Mar 2025 08:58 pm
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