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बाड़मेर

पश्चिमी बॉर्डर को मिले वाइब्रेंट विलेज… बॉर्डर के गांवों को उम्मीद

विलेज टूरिज्म कॉन्सेप्ट से देश में ग्रामीण पर्यटन का नया रास्ता खुलेगा। राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, बीकानेर जिलों के लिए यह योजना पर्यटन ही नहीं बॉर्डर के गांवों में मूलभूत सुविधा के लिए भी सौगात साबित होगी।

बाड़मेरJul 22, 2024 / 09:16 pm

Ratan Singh Dave

-केन्द्र के बजट से बॉर्डर को बड़ी आस
उत्तर भारत में चल रही वाइब्रेंट विलेज योजना से पंजाब,गुजरात-राजस्थान नहीं जुड़े हुए है। केन्द्र सरकार बजट में इन तीनों राज्यों को भी वाइब्रेंट विलेज की सौगात दें तो विलेज टूरिज्म कॉन्सेप्ट से देश में ग्रामीण पर्यटन का नया रास्ता खुलेगा। राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, बीकानेर जिलों के लिए यह योजना पर्यटन ही नहीं बॉर्डर के गांवों में मूलभूत सुविधा के लिए भी सौगात साबित होगी। वाइब्रेंट विलेज योजना अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्क्मि, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों में है। यहां पर 4800 करोड़ व्यय हो रहे है। इस योजना में पंजाब, राजस्थान और गुजरात शामिल नहीं किए गए है। तीन राज्य जुड़ेंगे, जुड़ेगा जम्मू से दक्षिण गुजरात,राजस्थान ,पंजाब तीन राज्यों के वाइब्रेंट विलेज से जुड़ते ही उत्तर भारत औैर जम्मू कश्मीर दोनों छोर से जुड़ जाएंगे। इससे पर्यटन का एक नया मैप तैयार होगा। भारतमाल योजना के जरिए बॉर्डर के गांवों को देखने का बड़ा अवसर पर्यटकों को मिलेगा।

यह होगा फायदा
– पलायन रुकेगा
– एक गांव एक उत्पाद बढ़ेगा
– विलेज टूरिज्म

अभी विकास को तरस रहे

बॉर्डर के गांवों के लिए पूर्व में बीएडीपी योजना में कार्य हो रहे थे जो बंद कर दिए गए है। अब पश्चिमी सीमा के बॉर्डर पर विकास का बड़ी कोई योजना नहीं है। सडक़, बिजली, पानी और मूलभूत सुविधाओंं के लिए लोग तरस रहे है। वाइब्रेंट विलेज योजना लागू होने से इन गांवों में विकास की तस्वीर बदलेगी।

बाड़मेर से इकॉनॉमिक कॉरीडोर बने सूखा बंदरगाह
राजस्थान रिवर बेसिन एंड वाटर रिसोर्सेज प्लानिंग ने एक कमेटी गठित की है। जल संसाधन विभाग पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई, रेलवे, परिवहन विभाग, मत्स्य विभाग, पर्यटन विभाग शामिल किए गए है। यह कमेटी कच्छ के रण से बाड़मेर तक वाटर-वे की संभावना पर कार्य कर रही है। केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री आफ पोटर्स शिपिंग एंड वाटर-वे ने कमेठी गठन के निर्देश दिए थे। गुजरात से राजस्थान तक वाटर-वे 490 किलोमीटर हो सकता है। वाटर-वे में वैसल्स के जरिए राजस्थान से ढाई मिलियन टन तक एक्सपोर्ट हो सकेगा। केन्द्र सरकार इस सूखा बंदरगाह की बजट में घोषणा करे तो रिफाइनरी,तेल गैस के बाद यह बड़ी सौगात प्रदेश को मिल सकती है। जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर रेलवे लाइन जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर गुजरात तक के लिए रेलवे लाइन का सर्वे हो चुका है। इस रेलवे लाइन को अनार्थिक बताकर रोक दिया गया था,लेकिन यह गुजरात, पश्चिमी राजस्थान को सीधे उत्तर भारत से जोड़ सकती है। रेलवे लाइन का महत्व पर्यटन व खनिज पदार्थों के प रिवहन को लेकर भी है।

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