उन्होंने कहा कि इतिहास उन्हीं व्यक्तियों के व्यक्तित्व को दोहरता है जो सिंह बनकर गरजते, फूल बनकर महकतेऔर बादल बनकर बरसते हैं। जैन समाज के प्रथम दादा गुरुदेव अपने यथानाम तथा गुण के अनुरूप सौम्य, शांत सहज प्रकृति के धनी थे।
साध्वी नित्योदयाश्री ने कहा कि मानव जीवन की सार्थकता के लिए किसी का भी योगदान रहता है तो एक मात्र सद्गुरु का। सद्गुरु के प्रति हमारा अत्यंत भक्तिभाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास उन्हीं व्यक्तियों के व्यक्तित्व को दोहरता है ।
खरतरगच्छ संघ चातुर्मास समिति, बाड़मेर के सचिव रमेश पारख व मीडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने बताया कि रिखबदास मालू व अध्यक्ष प्रकाशचंद संखलेचा ने गुरुदेव की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन व पुष्प समर्पित किए। दोपहर में दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा का आयोजन किया गया।