scriptराजस्थान में यहां फसलों की कटाई के लिए अनूठी परम्परा, देसी घी खिला कर करवाया जाता है काम | Unique tradition for harvesting crops in barmer | Patrika News
बाड़मेर

राजस्थान में यहां फसलों की कटाई के लिए अनूठी परम्परा, देसी घी खिला कर करवाया जाता है काम

फसलों की कटाई किसानों के लिए खुशी की वेला होती है और खुशी की इसे वेला में वे लोगों को भी अपने अंदाज में शामिल करते हैं।

बाड़मेरOct 05, 2022 / 02:47 pm

Kamlesh Sharma

Unique tradition for harvesting crops in barmer

फसलों की कटाई किसानों के लिए खुशी की वेला होती है और खुशी की इसे वेला में वे लोगों को भी अपने अंदाज में शामिल करते हैं।

हीरा की ढाणी (बाड़मेर)। फसलों की कटाई किसानों के लिए खुशी की वेला होती है और खुशी की इसे वेला में वे लोगों को भी अपने अंदाज में शामिल करते हैं। गांवों में परंपरा का निर्वाह करना भौगोलिक स्थितियों पर निर्भर है। ऐसी ही परम्परा ’लाह’ है। खेतों में फसल कटाई के दौरान कई परिवार सामूहिक रूप से सुबह जल्दी काम में जुट जाते हैं। ये किसान परिवार लोक गीतों की स्वर लहरियों के बीच समूह में जुट जाते हैं। उनमें बरसों से यह परंपरा चली आ रही है। इस बार अधिक बारिश से धान मेह मार हो गया है, लेकिन किसान खुशी से फसल कटाई कर रहे हैं।

भणतियों को घी खिला करते हैं लाह
परंपरा के अनुसार इन दिनों किसानों के खेतों में बाजरी सीटा कटाई,मूंग व मोठ की फसल की कटाई लाह के रूप में की जा रही है। रेतीले धोरों के खेतों में जगह-जगह लाह का आयोजन किया जा रहा है। बुजुर्ग किसानों ने बताया कि इसका एक मात्र उद्देश्य किसान को अतिरिक्त खर्च से बचाना और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना ही है।

यह भी पढ़ें

शादी के सात दिन बाद ही भागी दुल्हन, पीड़ित दूल्हा पहुंचा थाने

जिस किसान को खेत में लाह का आयोजन करना होता है, वह एक या दो दिन पहले किसानों को लाह का निमंत्रण देता है। वही लाह के दिन उसकी ओर से से देशी खाना तैयार कर बाजरा सोगरा के साथ भरपूर गायों का देशी घी खिलाया जाता है। लाह में 20 से 50 या अधिक संख्या में किसान उत्साह से सामूहिक काम करते हैं। इस बार घर-घर दुधारू गायों की लंपी स्किन बीमारी से मौत होने पर अधिकतर किसान घी बाजार से घी खरीदते नजर आ रहे हैं।

यह भी पढ़ें

पत्नी थाने गई तो पति ने घर में लगाई आग, पढ़ें पूरी खबर

हिदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश
चौहटन. खेती बाड़ी के बड़े कार्यों को एक दूसरे के सहयोग से सम्पन्न करवाने के लिए सदियों पहले शुरू हुई लासिया परम्परा आज भी कायम है। मंगलवार को निकटवर्ती घोनिया गांव की सरहद में स्थित वेर माता कृषि फॉर्म पर 40 से अधिक लोगों ने एक दूसरे के सहयोग करते हुए लासिया परम्परा की मिसाल को ताजा किया। इन 40 लासियों ने 10 बीघा जमीन पर खड़ी बाजरे की फसल कटाई में योगदान दिया। इस सम्बन्ध में फार्म मालिक खेतसिंह घोनिया ने बताया कि आज सभी 40 लासिये मुस्लिम समुदाय से आए थे, ये विगत कई वर्षों से खेती बाड़ी में सहयोग कर रहे हैं तथा हिदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं।

Hindi News / Barmer / राजस्थान में यहां फसलों की कटाई के लिए अनूठी परम्परा, देसी घी खिला कर करवाया जाता है काम

ट्रेंडिंग वीडियो