इस अवसर पर केन्द्र प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने कहा कि खरीफ फसलों में मूंगफली का क्षेत्रफल धीरे-धीरे बढ़ रहा है। जिले में मूंगफली लगभग तीन हजार हैक्टेयर में बोयी जाती है, लेकिन इसकी उत्पादकता अन्य जिलो से काफी कम है जिसको बढ़ाने की नितांत आवश्यकता है।
साथ ही मूंगफली की उन्नत किस्म व इसकी समन्वित कृषि तकनीक अपनाने की जरूरत है जिससे कि प्रति हैक्टेयर पैदावार बढाई जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खद्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत तिलहन को बढ़ावा देने के लिए मूंगफली प्रथम पंक्ति प्रदर्शन गांव डाबली में लगवाया जा रहा है। डॉ. हरिदयालचौधरी ने मूंगफली की उन्नत किस्म जीजी-20 की विशेषताएं बताई। उन्होंने उर्वरकों का प्रयोग, भूमि की किस्म, उसकी उर्वराशक्ति, मूंगफली की किस्म, सिंचाई की सुविधा आदि की जानकारी दी।
डॉ.बाबूलाल जाट ने मूंगफली में होने वाले प्रमुख जैसे जड़ गलन, पत्ती धब्बा आदि रोगो के उपचार के लिए कीटनाशी का प्रयोग के बारे में जानकारी प्रदान की।