बाड़मेर

स्वैच्छिक रक्तदान का जज्बा, बाड़मेर में कभी नहीं होती रक्त की कमी, पुरुष ही नहीं अब महिलाएं भी जागरूक

रक्तकोष में सबसे अधिक रक्त स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से आता है। जिले में रक्तदान जैसे श्रेष्ठ कार्य को करने वाले संगठन और संस्थाएं नियमित रूप से कैंप लगातार रक्तदान के लिए युवाओं को प्रेरित करते है

बाड़मेरOct 01, 2024 / 10:03 pm

Mahendra Trivedi

थार में रक्तदान एक परम्परा बनती जा रही है। राजकीय अस्पताल की ब्लड बैंक में रक्त की कभी कमी नहीं आती है, क्योंकि यहां के स्वैच्छिक रक्तदाता हमेशा किसी के लिए भी रक्तदान के लिए तैयार रहते है। रक्तकोष में सबसे अधिक रक्त स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से आता है। जिले में रक्तदान जैसे श्रेष्ठ कार्य को करने वाले संगठन और संस्थाएं नियमित रूप से कैंप लगातार रक्तदान के लिए युवाओं को प्रेरित करते है। बाड़मेर में केवल पुरुष ही नहीं अब महिलाएं भी जागरूक हो रही है और बड़ी संख्या में रक्तदान में अपनी भागीदारी निभा रही है।

रक्त के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती

बाड़मेर में जरूरतमंद को रक्त आसानी से इसलिए मिल जाता है कि यहां पर स्वैच्छिक रक्तदान के लिए लोग कतार में है। एक मैसेज पर रक्तदाता अस्पताल पहुंच जाते है और दूसरे ही पल ग्रुप में भी यह मैसेज आ जाता है कि रक्त की व्यवस्था हो चुकी है। रक्तदान के लिए इस तरह का जज्बा यहां देखने में आता है। इसलिए यहां जरूरतमंद को रक्त के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती है।

एक मैसेज पर रक्तदाता तैयार

बाड़मेर में स्वैच्छिक रक्तदान के लिए बने संगठन और संस्थाओं के सोशल मीडिया ग्रुप से एक ही मैसेज पर तुरंत रक्तदाता अस्पताल पहुंच जाते है। ऐसे रक्तदाता बाड़मेर में सैकड़ों से ज्यादा मिल जाएंगे। जो हमेशा रक्तदान के लिए तैयार रहते है। जिसमें युवाओं का जोश और जज्बा अलग ही नजर आता है।

स्वैच्छिक रक्तदान को ऐसे मिल रहा बढ़ावा

थार में जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ के अलावा परिजनों के पुण्यदिवस के दिन भी स्वैच्छिक रक्तदान के लिए कैंप आयोजित होते है। इसमें रक्तदान पूरी तरह से स्वैच्छिक होता है। इसके चलते बाड़मेर में रक्तदान को बढ़ावा मिल रहा है। इस तरह के आयोजन के चलते कैंप का सिलसिला लगातार चलता रहता है। बाड़मेर में करीब 8-10 सक्रिय संस्थाएं स्वैच्छिक रक्तदान में जुटी हुई है।

पिछले 5-7 साल में बढ़ी जागरूकता

बाड़मेर में साल 2016 तक रक्त की कमी पर मरीज को रैफर करना पड़ता था। खासकर रैयर ग्रुप में मरीजों के लिए स्थिति काफी तकलीफदेह होती थी। इसके बाद यहां पर कुछ संस्थाएं सक्रिय हुई और स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर कार्य शुरू किया गया। युवाओं और आमजन में रक्तदान को लेकर जागरूक किया गया। लोगों में समझ विकसित की गई कि रक्तदान से कोई नुकसान नहीं होता है। यह मुहिम चली तो थार में स्वैच्छिक रक्तदान का परिदृश्य ही बदल गया। अब यहां एक मैसेज पर स्वैच्छिक रक्तदाता पहुंच जाते है। साल 2019 के बाद तो स्थिति यह हो गई कि संस्थाओं के माध्यम से रक्तदान कैंप इतने लगने शुरू हुए कि बाड़मेर के बाहर तक जरूरतमंद जिलों को यहां से रक्त भेजा गया।

ई-रक्तकोष पर करवा सकते है पंजीयन

स्वैच्छिक रक्तदाता बनने के लिए एनएचएम की वेबसाइट ई-रक्तकोष पर भी पंजीयन करवाया जा सकता है। यहां पर चार स्टेप में रक्तदाता का पंजीयन होता है। इसके बाद कहीं पर जरूरत होने पर आप स्वैच्छिक रक्तदान में अपना योगदान दे सकते हैं।

स्वैच्छा से करें रक्तदान


रक्तदान एक सुरक्षित प्रक्रिया है। हर स्वस्थ व्यक्ति नियमित रूप से कर सकता है। रक्तदान से न केवल दूसरों की मदद होती है, यह रक्तदाता के स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद है। रक्तदान करने से सामाजिक एकता को मज़बूती मिलती है। रक्तदान करने के लिए किसी से अपेक्षा न करनी चाहिए बल्कि किसी भी इंसान के लिए स्वैच्छा से रक्तदान करना ही असली मानवता है। स्वैच्छिक रक्तदान से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है और यह एक महान सेवा है। रक्तदान जीवनदान है।
-अजयनाथ गोस्वामी, संयोजक, मालाणी रक्तदाता समूह बाड़मेर

2015 में महिलाओं के रक्तदाता समूह की शुरूआत


बाड़मेर में 2015 में महिलाओं के रक्तदाता समूह की शुरूआत हुई। वर्तमान में रक्तदाता महिला संगठन बाड़मेर में कुल 113 सदस्य है। यह महिलाओं का राजस्थान का पहला समूह है। संगठन में शहरी के साथ ग्रामीण महिलाएं भी शामिल है। सोशल मीडिया ग्रुप के माध्यम से रक्तदान की सूचना भेजी जाती है। आपात स्थिति में रक्तदान किया जाता है। रक्तदान के प्रति भ्रांतियों को खत्म करने के लिए संस्थान ने मुहिम चलाई और जागरूकता कार्यक्रम सतत् रूप से जारी है। स्वैच्छिक रक्तदानमें बाड़मेर की महिलाएं हमेशा अग्रणी पंक्ति में है।
-अनिता सोनी, अध्यक्ष, रक्तदाता महिला संगठन बाड़मेर

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