उक्त उद्गार कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने विश्व मृदा दिवस के आयोजन पर कही। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम मिट्टी की लवणता को रोकें, मिट्टी की उत्पादकता को बढ़ावा दें है।
अभियान का उद्देश्य मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करते हुए मिट्टी के लवणीकरण का समाधान, बढ़ते हुए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही उन्होंने बताया कि भारत अर्वाचीन समय से ही कृषि प्रधान देश रहा है। भारत में परंपरागत रूप् से खेती का वर्षों पुराना माॅडल ही सफल रहा है।
डॉ. हरि दयाल चौधरी न कहा कि यहां के वाशिन्दे परंपरागत खेती में माहिर है तथा अनगिनत अकालों को झेलने के बाद भी यहां का किसान खुशहाल है लेकिन वर्तमान स्थिति के मद्देनजर मृदा जांच अति आवश्यक है। वापस जैविक खेती की तरफ अग्रसर होने की पहल करनी चाहिए। डॉ. बाबूलाल जाट ने कहा कि खेती में लागत कम करने आवश्यकता है जिससे कृषक के उपज के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूत हो सके।
गंगाराम माली ने मृदा जांच की सिफारिश के अनुसार खाद व उर्वरक प्रयोग नियंत्रित मात्रा में करने की सलाह दी। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया