लोहा-गर्मी और श्रम
रिफाइनरी क्षेत्र में अब अधिकांश काम लोहे का हो रहा है। रिफाइनरी क्षेत्र में गर्मी बेतहाशा पड़ रही है। पास में ही नमक की झील का इलाका है जो ज्यादा गर्म हो रहा है। आसपास में हरियाली नहीं है। लोहे पर वेल्डिंग और गर्मी बढ़ाने वाले काम होने से श्रमिकों को यहां परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है।
रात को भी नहीं चैन
रिफाइनरी क्षेत्र के ये श्रमिक दिन में रिफाइनरी में रहते हैं और रात को इनको पास में ही बनी अस्थाई कॉलोनियों में बसेरा करना पड़ रहा है। जहां टीनशेड या जुगाड़ से बने हुए कमरे हैं, जिनमें सुविधाएं कम है। ऐसे में रात तक ये भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं।
अतिरिक्त सुविधाओं की दरकार
श्रम विभाग ने दो दिन पहले ही निर्देश दिया है कि नियोक्ता श्रमिकों का गर्मी में पूरा ख्याल रखे। आवश्यकता होने पर उनको अवकाश दें। कार्यस्थल पर छांव, दवा, पानी का प्रबंध रखे। दोपहर में काम नहीं करवाएं। रिफाइनरी में 25000 के करीब मजदूर है, लेकिन अभी तक यहां पर श्रमिकों की सुविधा को लेकर अलर्ट मोड की दरकार है। रिफाइनरी क्षेत्र में शुक्रवार को एक श्रमिक की मौत के बाद में मजूदरों ने मुआवजे की मांग की। यहां मजदूर और अधिकारी आमने हुए। मुआवाजे की मांग बाद सहमति बन गई। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर आना पड़ा।
25 हजार के लिए सुविधा का चैलेंज
श्रमिकों की संख्या यहां पर 25 हजार है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेजी मैथ्यु बताते है कि अब श्रमिकों का समय बदल दिया गया है। चिकित्सकों की टीमें लगी है। मरीजों की जांच की जा रही है। गर्मी, लू, बुखार के पीड़ितों का उपचार हो रहा है। उन्होंने बताया कि मजदूरों की सुविधा के लिए पूरा ख्याल रखा जा रहा है।