यहां हर रोज सूरज निकलने से पहले ही कई महिलाएं बर्तन लेकर कुएं पर पहुंच जाती हैं। यहां वे हाथों से पानी सींच कर घर ले जाती है, ऐसे ही पूरा दिन पीने के पानी के जूगाड़ में ही बीत जाता है। ग्रामीण पुखराज थोरी सहित अन्य का कहना है कि करीब 100 घरों की आबादी के बीच एक पुराना कुआं है। इस पर पूरा गांव आश्रित है, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है तो कुएं का जलस्तर भी घटने लग जाता है। इससे महिलाओं की परेशानी और बढ़ जाती है।
सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं
गांव में सरकारी स्तर पर पेयजल व्यवस्था को लेकर कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। घरों को पाइप लाइन से नहीं जोड़ा जा रहा है। इससे करीब 100 घरों के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है।
गांव में सरकारी स्तर पर पेयजल व्यवस्था को लेकर कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। घरों को पाइप लाइन से नहीं जोड़ा जा रहा है। इससे करीब 100 घरों के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है।
और यहां कई किसान बीज अनुदान से वंचित
रामसर. क्षेत्र के कई किसान वर्ष 2016 व 17 के बीज अनुदान से वंचित रह गए। उनके दस्तावेज समय पर जमा नहीं होने से बिल नहीं बन पाए। जब किसानों को इसकी जानकारी हुई तो वे अब पटवारियों के चक्कर लगा रहे हैं। ग्राम पंचायत भाचभर, चाडार, चाडी सहित कई गांवों के किसान बीज अनुदान से वंचित हैं। वहीं तहसीलदार मोहनलाल का कहना है कि पटवारियों से वंचित किसानों की सूचना मांगी जा रही है। बिल बनवाकर भेजने के बाद किसानों को बीज अनुदान की राशि मिल जाएंगी।
रामसर. क्षेत्र के कई किसान वर्ष 2016 व 17 के बीज अनुदान से वंचित रह गए। उनके दस्तावेज समय पर जमा नहीं होने से बिल नहीं बन पाए। जब किसानों को इसकी जानकारी हुई तो वे अब पटवारियों के चक्कर लगा रहे हैं। ग्राम पंचायत भाचभर, चाडार, चाडी सहित कई गांवों के किसान बीज अनुदान से वंचित हैं। वहीं तहसीलदार मोहनलाल का कहना है कि पटवारियों से वंचित किसानों की सूचना मांगी जा रही है। बिल बनवाकर भेजने के बाद किसानों को बीज अनुदान की राशि मिल जाएंगी।