कुछ जगह सहज हुआ: अधिकांश गांवों में ग्रेवल सड़कों का निर्माण हुआ है। जिससे आवागमन सहज हुआ है लेकिन अभी भी ऐसे कई गांवों में आधी अधूरी ग्रेवल सड़कें हैं।
ग्रामीण बोले..
नेता वोट के समय जरूर याद करते हैं। बाद में कोई नहीं आता। इस कारण गांवों का विकास महज सपना बना हुआ है। सड़क, पानी, बिजली की सुविधाएं मिलें तो इन गांवों के भी दिन बेहतर हो जाएं।- भूरसिंह सोढा, पाक विस्थापित ग्रामीण, सिरगुवाला
भाजपा की दूसरी सूची जारी होते ही दावेदारों के समर्थकों का विरोध प्रदर्शन शुरू
हमारे गांव गड़स तक पहुुचने के लिए आज भी ऊंट, ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ता है। मतदान के दिन पोलिंग बूथ तक पैदल या ऊंटों पर जाना मजबूरी है। जिसके कारण कई लोग मतदान ही नहीं करते हैं।- गेनसिंह सोढा, निवासी गड़स ग्राम पंचायत, बिजावल
हमारे गांव झणकली से ऊनरोड़, झणकली से जानसिंह की बेरी, दूधोड़ा, बालेबा, भाडली, नीमली जाने के लिए अभी भी ऊंटों या टेक्ट्रर का सहारा लेना पड़ता है। कुछ जगह ग्रेवल सडक़ें बनाई गई लेकिन वो भी रेत में दब गई या बरसात में टूट कर बिखर गई है।- मांगीदान चारण, वाहन चालक, ग्राम पंचायत झणकली