कोविड से तो जीत ली जंग, खौफ का मंजर कर गया युवा मन में घर
बाड़मेर. कोरोना से जंग जीत चुके कई लोग मानसिक परेशानियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों को नियमित रूप से मनोरोग विशेषज्ञ से उपचार करवाना पड़ रहा है। चिंता की बात यह है कि इसमें खासकर युवा है, जो कोविड-19 से ग्रसित होने के बाद से इससे बहुत अधिक भयभीत है। जबकि उन्हें स्वस्थ हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन कोविड का डर उनके मन-मस्तिष्क पर गहरे तक असर कर गया है, जो अब मानसिक परेशानियों के रूप में उभर कर सामने आ रहा है।
कोविड की दूसरी लहर में युवा ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले की संख्या भी इनकी अधिक रही। कोविड से जंग जीत चुके युवा मानसिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं। इसके चलते उन्हें जीवन को लेकर हमेशा भय सता रहा है और यह इतना अधिक बढ़ गया है कि उन्हें मनोरोग विशेषज्ञ से काउंसलिंग लेनी पड़ रही है।
अवसाद की ओर धकेल रही मन की समस्याएं
जिला अस्पताल की मनोरोग विभाग की ओपीडी में करीब 10 फीसदी पोस्ट कोविड मरीज आ रहे हैं। इनमें सभी उम्र के लोग हैं। पुरुष अधिक और महिलाएं बहुत ही कम है। इनमें युवाओं में कोविड का डर घर कर गया है, जो निकल नहीं रहा है। इसके कारण बैचेनी, नींद नहीं आना, भूख में कमी, किसी काम में मन नहीं लगना जैसी समस्याएं बढ़ गई है, जो अवसाद की तरफ धकेल रही है। युवा जीवन को लेकर आशंकित ज्यादा है। चिकित्सकीय जांच में यह सामने आया है कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि अस्पताल में भर्ती के दौरान उन्होंने अपने आसपास काफी मौतें आंखों के सामने देखी है, जिसमें कई लोग स्वस्थ हो चुके थे और अचानक मौत का शिकार हो गए। वो देखे गए दृश्य उनके मन-मस्तिष्क को प्रभावित कर रहे हैं। चाहते हुए भी वो भूल नहीं पा रहे हैं। जो उनके लिए मानसिक परेशानी का कारण बन चुके हैं।
दवा के साथ करते हैं काउंसलिंग
मनोरोग विभाग में ऐसे युवाओं को सप्ताह में एक बार बुलाकर दवा के साथ उनकी काउंसलिंग की जा रही है। उन्हें जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने के साथ कोविड से सुरक्षा के रूप में वैक्सीनेशन करवाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। जिससे उनके मन का भय निकल सके। कईयों को नियमित काउंसलिंग की जरूरत होती है तो भी विशेषज्ञ ऐसे मरीजों की मदद कर रहे हैं।
डॉ. गिरीश बनिया, एचओडी मनोरोग विभाग राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर
विशेषज्ञ की सलाह, यह बरतें सावधानी
-दवाइयां नियमित रूप से लेना जरूरी
-समय-समय पर विशेषज्ञ को दिखाएं
-व्यक्ति को अकेला नहीं रहने दें
-सकारात्मक सोच को बढ़ाने का प्रयास करें
-बाहर जाएं, लोगों से बातचीत करें