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बाड़मेर

कभी ‘पाक’ तक पहुंचाता था ‘रेल’ को कुओं का पानी, अब बेरुखी पड़ रही भारी

– भांप के इंजन को चलाने के लिए रेलवे ने खोदे थे कुएं, अब उपेक्षित
– कचरा पाइंट बने कुएं और रेलवे क्वार्टर, पड़ोसी परेशान
– मोहल्लेवासियों के लिए सिरदर्द, रेलवे नहीं ले रहा सुध

बाड़मेरAug 05, 2021 / 12:35 am

Dilip dave

कभी ‘पाक’ तक पहुंचाता था ‘रेल’ को कुओं का पानी, अब बेरुखी पड़ रही भारी

कभी ‘पाक’ तक पहुंचाता था ‘रेल’ को कुओं का पानी, अब बेरुखी पड़ रही भारी

दिलीप दवे बाड़मेर. कभी थार की धरा बाड़मेर का पानी भांप के इंजन को पाकिस्तान पहुंचाने के काम आता था, वहीं पानी के स्रोत अब उपेक्षा का शिकार है। शहर के बीचोबीच रेलवे ने कुएं खोदे थे जिससे कि यहां से पानी भरवा कर ट्रेन को पाकिस्तान तक पहुंचाया जाए।
यह कार्य सालों तक चला लेकिन बदलते युग ने भांप के इंजन बंद कर दिए तो रेलवे ने कुएं की सुध लेनी छोड़ दी। एेसे में ये कुएं अब कचरा पाइंट बन चुके हैं और रेलवे क्वार्टर समाजकंटकों की शरणगाह। लम्बे समय से यह स्थिति है लेकिन रेलवे ध्यान नहीं दे रहा, जिस पर करोड़ों की सम्पत्ति जमीदोज हो रही है।
बाड़मेर शहर व जिला अकाल की मार झेलता रहा है। आजादी से पहले यहां के लोगों का रोजगार का जरिया वर्तमान पाकिस्तान का सिंध-हैदराबाद इलाका था। यहां पर लोग रोजगार के लिए जा सके इसको लेकर तत्कालीन जोधपुर रियासत ने १८९२ में जोधपुर से सिंध हैदराबाद तक रेल लाइन बिछा जोधुपर रेल के नाम से रेल शुरू की। उस समय भांप के इंजन चलते थे जिस पर पानी की जरूरत होती थी। इस समस्या के समाधान को लेकर बाड़मेर की पहाड़ी की तलहटी में कुएं खोदे गए थे। रेलवे कुआं नम्बर एक, दो व तीन के नाम से इन्हें आज भी जाना जाता है। इन कुओं से पानी को लाइन के मार्फत रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया जाता था।
आजादी के बाद भारतीय रेलवे के नाम यह रेल सेवा हो गई तो ये कुएं भी रेलवे को मिल गए। कुओं की सुरक्षा व पानी शुरू करने के लिए यहां स्टाफ लगाया हुआ था जिनके क्वार्टर भी बने हुए हैं। लम्बे समय तक इनका उपयोग होता रहा लेकिन पिछले कई सालों से ये कुएं बंद हो चुके हैं। रेलवे स्टेशन पर पानी की आवक अन्य स्रोत से होने लगी है। एेसे रेलवे प्रशासन ने इनकी सुध लेनी छोड़ दी है। इस स्थिति में ये कुएं अब जर्जर हो रहे हैं तो क्र्वाटर समाजकंटकों की शरणगाह बन चुके हैं।
अतिक्रमण का खतरा , कचरा पाइंट में तब्दील- रेलवे कुओं व क्र्वाटर के आसपास लोगों के मकान बने होने से अतिक्रमण होने का खतरा है। वहीं, कुओं में कचरा डालते हुए लोगों ने कचरा पाइंट बना दिया है। रेलवे क्वार्टर के दरवाजे क्षतिग्रस्त होने से समाजकंटक यहां अवांछित गतिविधियां करते हैं।
पहले नियमित निरीक्षण, अब नहीं ध्यान- लोगों के अनुसर कुछ साल पूर्व तक तो रेलवे के अधिकारी व कार्मिक नियमित रूप से निरीक्षण करने आते थे लेकिन अब एेसा नहीं हो रहा। इसके चलते लोगों ने इन कुओं के कचरा पाइंट बना दिया है। इससे आस पड़ोस के लोग परेशान है।
करोड़ों की सम्पत्ति हो रही बेकार- रेलवे कुआ नम्बर तीन जोशियों का वास में है तो कुआं नम्बर दो शिव मुंडी रोड से लगता है। वहीं, रेलवे कुआ नम्बर तीन लूणू रोड पर स्थित है। वर्तमान में यहां घनी आबादी बसी हुई है। एेसे में रेलवे इस सम्पत्ति का उपयोग करता है तो करोड़ों की आय हो सकती है।
रेलवे करे सम्पत्ति का उपयोग- रेलवे की यह सम्पत्ति करोड़ों रुपए की है। इसको अन्य उपयोग में लेकर या बेच कर करोड़ों की कमाई हो सकती है। उपेक्षा के चलते रेलवे की सम्पत्ति पर अतिक्रमण का खतरा है। वहीं, लोग इसमें कचरा डाल रहे हैं तो क्र्वाटर समाजकंटकों की शरणागाह बन चुके हैं।- पुखराज दवे, स्थानीय निवासी
निर्देश दिए जाएंगे- बाड़मेर में रेलवे की सम्पत्ति की सुरक्षा को लेकर प्रबंध किए जाएंगे। संबंधित अभियंता को निर्देश देकर शीघ्र निरीक्षण करवा उचित कर्रवाई की जाएगी।– गोपाल शर्मा, पीआरओ उत्तर-पश्चिम रेलवे जोधपुर मंडल

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