देशभर में चर्चा में रहा 2020 का केन्द्र सरकार का नया कृषि कानून किसानों के भारी विरोध के बाद भले ही वापस ले लिया, पर हैरानी की बात ये है कि राजस्थान में यह कानून अब भी लागू हैं।
मंडियों को हो रहा राजस्व घाटा
राज्य में एक प्रतिशत मंडी शुल्क है। अलग-अलग जिंसों पर अलग-अलग मंडी टैक्स है। इसके अलावा पचास पैसे किसान कल्याण शुल्क है। कच्चे माल पर 2.25 प्रतिशत आड़त है। लेकिन जून 2020 के बाद सभी प्रकार के शुल्क मंडी परिसर में ही सिमटे हुए हैं। मंडियों के बाहर किसी प्रकार का टैक्स नहीं है। ऐसे में द्वितीय श्रेणी की मंडियों को जमकर राजस्व घाटा हो रहा है। बीते तीन वर्ष में द्वितीय श्रेणी की मंडियों की आय पूर्ववत आय से आधी रह गई है। व्यापारी मंडियों के सामने बैठकर मंडी टैक्स चुकाए बिना अपना कारोबार कर रहे हैं।
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राजस्थान में वापस नहीं हुआ क़ानून
केन्द्र सरकार की ओर से नए कृषि कानून वापस लेने के बाद राजस्थान विधानसभा में भी कानून वापस लेने संबंधी संशोधन विधेयक लाया गया, जो विधानसभा ने पारित कर दिया। विधानसभा से पारित होकर संशोधित बिल सितम्बर, 2022 में राज्यपाल के पास पहुंचा, लेकिन इस पर अभी तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। ऐसे में राजस्थान में नए कृषि कानून वापस नहीं हो पाए हैं।
केंद्र के बाद राजस्थान ने किया था लागू
नया कृषि बिल संसद में पारित होने के बाद जून, 2020 में देशभर में नए कृषि कानून लागू हो गए, जिसके तहत कृषि उपज मंडियों के बाहर लगने वाला मंडी टैक्स समाप्त हो गया था। केवल मंडी परिसरों के भीतर ही मंडी टैक्स रह गया था। नए कानूनों में अनुबंधित खेती व वेयर हाउस में अनलिमिटेड स्टॉक की सुविधा दी गई थी। केन्द्र सरकार की ओर से लागू कानूनों को राजस्थान विधानसभा में पारित कर राज्य में लागू कर दिया गया था।
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विरोध के बाद वापस लिया
पंजाब, हरियाणा व पश्चिम उत्तरप्रदेश के किसानों ने नए कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा व दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन शुरू कर दिया था। लम्बे समय तक चले किसान आंदोलन के बाद केन्द्र सरकार ने नए कृषि कानून वापस ले लिए।
नए कृषि कानून लागू होने से पहले मंडी परिसर के भीतर व बाहर सभी जगह मंडी टैक्स लागू था, लेकिन जून 2020 में आए कानून के बाद मंडी टैक्स मंडी परिसर की चारदीवारी में लागू हुआ और परिसर के बाहर समाप्त हो गया, जो अभी तक चल रहा है।– जबर सिंह, सचिव कृषि उपज मंडी बाड़मेर