रविंद्र सिंह भाटी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा कि, ‘बाड़मेर जिले का गिरल प्लांट या दुसरा नाम कहे तो आमजनता के पैसों की बर्बादी का प्लांट। दोनो सरकारों ने बारी बारी से करोड़ों रुपए का आर्थिक बोझ प्रदेश पर डाला। बड़े-बड़े प्लांट हजारों तरह की रिसर्च के बाद लगते है लेकिन ऐसा लगता है कि गिरल प्लांट शायद हवा हवाई में लगाया गया या शायद किसी अपने को रोजगार देने के लिए लगाया गया हो।’
उन्होंने कहा कि, ‘प्लांट लगने के बाद पता चलता है कि कोयले में सल्फर की मात्रा तो 6% से अधिक है जो हमारे लिए उपयोगी नहीं है। यह खबर कम और मजाक ज्यादा लगता है क्योंकि हजारो तरह की रिसर्च होने के बाद यह बात बोलकर प्लांट बंद कर दिया जाता है तो यह मजाक नहीं तो और क्या? जनता के करोड़ों रुपए फिजूलखर्च करके यह बोल दिया जाता कि कोयले में तो सल्फर की मात्रा 6 प्रतिशत से अधिक है।’
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गिरल प्लांट को लेकर पूछा ये सवाल
भाटी ने आगे कहा कि, ‘गिरल से मात्र 10 किमी की दूरी पर भादरेस प्लांट जालीपा व कपूरड़ी की खदानों के कोयले से संचालित हो रहा है क्या उस कोयले को लेकर यह प्लांट पुनः संचालित नहीं किया जा सकता है या संचालित करने का इरादा नहीं। सल्फर की मात्रा अधिक होने के बावजूद नजदीक के प्लांट लाइमस्टोन का प्रयोग करके सुचारू रुप से चल रहे हैं लेकिन वही स्थिति गिरल प्लांट की होने के बावजूद उसे बंद रखना और बिना किसी उत्पादन के रखरखाव के नाम पर आज तक 1500 करोड़ रुपए घाटे स्वरुप बर्बादी करना कहां तक उचित है?’ जनता के हजारों करोड़ बिना रिसर्च पानी की तरह बहा दिए जाते है न कोई जांच होती है न किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई होती है आखिर सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाले पश्चिमी राजस्थान के भोली भाली जनता के साथ ही बार-बार छलावा क्यों होता है।
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सरकारें आंख मूंदकर क्यों बैठी हैं? – भाटी
इसके अलावा भाटी ने कहा कि, ‘2007-09 में निर्मित प्लांट जो 2016 में बंद हो गया, कई सरकारें आईं और चली गई लेकिन बंद होने के बाद 8 साल में स्थिति वहीं के वहीं है। सब कुछ जानकर भी हर वर्ष पैसों की बर्बादी होती रही और सरकारें आंख मूंदकर बैठी रही ऐसा क्यों? हजारों करोड़ों रुपए लगे प्लांट को कभी हजारों करोड़ का नुक़सान खाकर निविदा निकाली जा रही है तो कभी प्लांट को राजस्थान में अन्य प्लांटों में जरुरत की सामग्री अनुसार पार्ट्स में तोड़ने की बातें चल रही है। आज भी करीब 40 कार्मिकों को घर बैठे बंद इकाई हेतु पैसे देने पड़ रहे हैं, सरकार रखरखाव में आमजनता के करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। सरकार न तो इसको पुनः सुचारु कैसे करें या किसी अन्य संस्था को देकर पुनः प्रारंभ करने की इच्छुक भी नहीं दिख रही है।’
आखिर कब तक जनता के खून पसीने की कमाई को बेवजह बर्बादी करती रहेगी? आखिर कब तक पश्चिमी राजस्थान के भोली भाली जनता को ठगा जाएगा ?
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