वहीं, सरकारी छात्रावास अपर्याप्त होने से असुरक्षा की भावना के बीच शिक्षण करना मजबूरी हो चुका है। रही-सही कसर आवागमन के साधनों का अभाव तो सडक़ों की खस्ताहालात पूरी कर रही है। स्थिति यह है कि जिले के करीब तीन हजार राजस्व गांवों में से बमुश्किल पांच सौ गांव की रोडवेज सेवा से जुड़े हैं। एक हजार गांव एेसे होंगे जहां रोडवेज को क्या निजी बस सेवा तक नहीं है। वहीं,३५८० किमी सडक़ें जर्जर हालात में है जिस पर साइकिल चलाना मुश्किल हो जाता है तो कई गांवों में सडक़ तो क्या पगडंडी भी नहीं है।
एेसे में बालिकाओं के कांधों से बस्ते उतर रहे हैं और पढ़ाई छूट रही है। बालिका शिक्षा को लेकर जनजागरूकता के बावजूद आवागमन के साधनों की कमी और सडक़ों के खस्ताहाल भी बच्चियों को पढ़ाई छोडऩे को मजबूर कर रहे हैं। जिले में करीब तीन हजार राजस्व गांव हैं। ६८९ ग्राम पंचायतों वाले जिले में राजस्व गांव तो क्या कई ग्राम पंचायतें एेसी हैं जो अब तक रोडवेज सेवा से वंचित है। बतौर उदाहरण मौखाब, साजीतड़ा, जूनेजो की बस्ती, आरंग, चोचरा, धारवीकला सहित कई ग्राम पंचायतों में रोडवेज नहीं पहुंची है।
वहीं, बॉर्डर की कई ग्राम पंचायतों में निजी बसों का संचालन भी नहीं हो रहा। इसका असर बालिका शिक्षा पर पड़ रहा है। एेसे गांवों में बालिकाओं का ड्राप आउट अधिक हो रहा है। क्योंकि आवागमन के साधन नहीं होने और ग्राम पंचायत में उच्च माध्यमिक स्तर का स्कू ल नहीं होने पर अभिभावक बालिकाओं को आठवीं के बाद पढ़ाने में परहेज रखते हैं।
सडक़ों की स्थिति खराब- बालिका शिक्षा में सडक़ों की स्थिति भी अवरूद्ध बन रही है। जिले में अधिकांश ग्रामीण सडक़ें प्रधानमंत्री सडक़ योजना की है जो सालों पहले बनी थी और अब जर्जर हालात में है। जिले में ३५८० किमी सडक़ें सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार दुबारा बनाने या मरम्मत योग्य है। एेसे में इन सडक़ों पर वाहनों का कम आवागमन होता है। वहीं, यहां साइकिल से भी आवागमन मुश्किल हो जाता है। इस पर बालिकाएं पढ़ाई छोड़ रही है।
आवागमन में होती दिक्कत- आवागमन में दिक्कत भी पढाई छूटने का कारण है। घर वाले बिना साधन भेजे भी तो कैसे। साइकिल भी नहीं चलती एेसी सडक़ों की हालत है।– देवी, छात्रा निवासी बाधा
पैदल कैसे जाएं स्कू ल- घर से दूसरी ग्राम पंचायत तक जाने के साधन नहीं है। एेसे में पढ़ाई छूट रही है। सरकार सडक़ों पर ध्यान दे तो स्कू लों को क्रमोन्नत करे।– भंवरी, छात्रा निवासी आकल