निर्णय न्यायोचित नहींः चौधरी
बायतू विधायक
हरीश चौधरी ने गत अपनी सरकार के मुखिया
अशोक गहलोत के इस बड़े निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह निर्णय न्यायोचित नहीं था। चौधरी ने कहा जब एमबीएम विश्वविद्यालय बनाया गया तो कई कुतर्क दिए गए जैसे इसे सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। एल्यूमिनी एसोसिएशन वित्तीय सहायता देगी, लेकिन आज दोनों विश्वविद्यालय अंतिम सांसें ले रहे हैं। वहां की कक्षाओं का सन्नाटा हमारे युवाओं के भविष्य का सन्नाटा है। वहां के प्रोफेसर अपनी पेंशन के लिए फुटपाथ पर है।
गहलोत ने दिया था दर्जा
चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय का मूल कार्य शोध होता है। मगर आज दोनों विश्वविद्यालयों में शोध नहीं हो रहे हैं, शैक्षणिक कार्य भी नहीं हो रहे हैं सिर्फ परीक्षाओं के नाम पर ही यह संस्थान चल रहे हैं। चौधरी ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि एमबीएम विश्वविद्यालय को विलोपित करने के लिए प्रस्ताव लेकर आएं। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने ही सितम्बर 2021 में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से एमबीएम कॉलेज को अलग कर विश्वविद्यालय का दर्जा दिया था।