बाड़मेर

15 साल से मानसिक विक्षिप्त मलाराम का अब होगा उपचार

– मदद के लिए आगे आई हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति- संज्ञान लेकर एमडीएम जोधपुर में इलाज कराने के दिए आदेश

बाड़मेरMar 27, 2018 / 10:26 am

भवानी सिंह

Mental Deranged Malaram will now be treated after15 years

गिड़ा.क्षेत्र के खोखसर दक्षिण गांव में 15 साल से मानसिक रोग का दंश झेल रहे मलाराम का अब नि:शुल्क उपचार होगा। इसके लिए राजस्थान उच्च राजस्थान उच्च न्यायालय की विधिक सेवा समिति आगे आई है। समिति ने संज्ञान लेकर मानसिक रोगी को इलाज के लिए मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर भेजने के आदेश दिए। इस पर सोमवार को मलाराम को 108 एंबुलेंस में जोधपुर के लिए रवाना किया गया।
गिड़ा क्षेत्र के खोखसर दक्षिण निवासी मलाराम (33) पुत्र मूलाराम जाट पिछले 15 साल से मानसिक रोग का शिकार है। शुरुआत में उसकी तबीयत खराब रहने लगी तो उसके पिता अंधविश्वास के चलते भोपों के चक्कर में घूमते रहे। इसके बाद मलाराम का मानसिक संतुलन बिगड़ता गया और उसे जंजीरों में जकड़ दिया। हाल ही में उसके भाई आसूराम ने उपचार के लिए गिड़ा थानाधिकारी को पत्र सौंपा। इसके बाद हाईकोर्ट की विधिक सेवा समिति ने संज्ञान लेते हुए उसके उपचार के आदेश दिए। इस पर सोमवार को हाईकोर्ट के पीएलवी योगेश कुमार माहेश्वरी की देखरेख में बाड़मेर सीएमएचओ डॉ. कमलेश चौधरी, गिड़ा थानाधिकारी गुमानाराम चौधरी के सहयोग से हीरा की ढाणी पीएचसी प्रभारी डॉ. गुलरेज रहमान, केसुम्बला चौकी के रामाराम की टीम कार्रवाई पूरी कर 108 एम्बुलेंस के साथ खोखसर दक्षिण में उसके घर पहुंची। जहां मलाराम को जंजीरों से मुक्त करा इलाज के लिए जोधपुर रवाना किया।
मुम्बई में मारपीट से खोया मानसिक संतुलन
मलाराम 5वीं तक पढ़ा हुआ है। पहले वह घर का पूरा काम करता था। वर्षों पूर्व वह मजदूरी के लिए मुम्बई गया था। जहां कुछ लोगों से उसका झगड़ा हो गया और मारपीट में उसके सिर पर चोट लगी। इसके बाद उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ाने लगा। इस कारण वह मुम्बई से वापस घर आ गया।
भोपों के पीछे घूमते रहे परिजन
मुम्बई से घर आने के बाद मूलाराम की हालत देख उसके परिजन भोपों के पास ले गए। 15 साल में करीब 10 से ज्यादा भोपों से उसका झाड़-फूंक करवाया गया। समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ाता गया और उसे पागल करार देकर जंजीरों में बांध दिया गया।
लकड़ी की कुटिया में रखा
मलाराम अपने पिता के घर से बाहर एक लकड़ी की छोटी सी कुटिया में पिछले कई सालों से रह रहा था। खाना खाने के समय घर आता और उसके बाद दुबारा उसी कुटिया में चला जाता।
भोपों ने किया बर्बाद
उसके पिता मूलाराम ने बताया कि अंधविश्वास के चलते भोपों के चक्कर में फंस गए और इतने साल घूमते रहे। भोपों ने हमें बर्बाद कर दिया। इस चक्कर में उसके बेटे की हालत और बिगड़ गई। हालत यह हो गई है कि उपचार के लिए रुपए भी नहीं है। अब विधिक समिति की मदद से जोधपुर के अस्पताल ले गए हैं। उम्मीद है, मेरा बेटा जल्द ठीक हो जाएगा।

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