गौरतलब है कि पेट में असहनीय पीड़ा से त्रस्त 25 साल के युवक हरिसिंह को अस्पताल में भर्ती किया गया। मरीज की जांच में पता चला कि अपेंडिक्स की समस्या से उसे लगातार पेटदर्द होता है। चिकित्सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी। सर्जन डॉ. भरत मालू ने बताया कि युवक की सभी तरह की जांचें करवाने के बाद लेप्रोस्कोपिक (दूरबीन) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपेंडिक्स का सफल ऑपरेशन किया।
टीम में ये रहे शामिल टीम में जर्नल सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिलीप चौधरी, एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. एमएल शारदा, असिस्टेंट प्रोफेसर महेन्द्र चौधरी, डॉ. दिलीप चौधरी, डॉ. मिहिर के अलावा ओटी इंजार्च ओमप्रकाश चौहान, जसवंत सोनी, छगनलाल, श्यामसुंदर, रणवीर, जितेंद्र, जमना, सुमन, शोभा, नरपत व स्वरूप भी शामिल रहे।
रिकवरी जल्दी होती है मरीज के अपेंडिक्स ऑपरेशन में अपनाई गई आधुनिक तकनीक में पेट पर छोटा चीरा लगाया जाता है। ऑपरेशन के बाद दर्द भी सामान्य ऑपरेशन से काफी कम रहता है। इस तरह की सर्जरी में इंफेक्शन की आशंका कम हो जाती है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि मरीज की रिकवरी बहुत जल्दी होने से अस्पताल से छुट्टी भी जल्दी मिल जाती है।
-डॉ. भरत मालू, सर्जन, राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर