बाड़मेर

अस्पताल पर मरीजों का बढ़ता दबाव, 170 से अधिक रोजाना भर्ती, कम पडऩे लगे वार्ड

जिला अस्पताल में मरीजों का बढ़ते दबाव के चलते बेड कम पडऩे लगे है। मरीजों को भर्ती करने के लिए गैलरी में बेड लगाने पड़ते हैं। वहीं मौसमी बीमारियों के रोगियों का डे-केयर में उपचार किया जा रहा है।

बाड़मेरDec 05, 2024 / 01:08 pm

Mahendra Trivedi

बाड़मेर मेडिकल कॉलेज सम्बद्ध जिला अस्पताल में मरीजों का बढ़ते दबाव के चलते बेड कम पडऩे लगे है। मरीजों को भर्ती करने के लिए गैलरी में बेड लगाने पड़ते हैं। वहीं मौसमी बीमारियों के रोगियों का डे-केयर में उपचार किया जा रहा है। अस्पताल में रोजाना 170 से अधिक रोगी भर्ती होने से व्यवस्थाएं कम पड़ रही है। अस्पताल की न्यू टीचिंग बिल्डिंग में कुछ समय पहले शुरू किए गए एक वार्ड के बाद भी बेड की कमी महसूस हो रही है।

एडमिशन को लेकर हालात अच्छे नहीं

अस्पताल में ओपीडी के साथ भर्ती मरीजों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले रोगियों की संख्या औसतन 3500 से अधिक हो रही है। वहीं भर्ती होने वाले रोगी भी 150-200 के पार हो जाते हैं। जबकि अस्पताल की भर्ती की व्यवस्थाओं में काफी बदलाव करने और आइसीयू व वार्ड बनने के बाद भी एडमिशन को लेकर हालात अच्छे नहीं कहे जा सकते है। मरीजों के अधिक दबाव से अस्पताल प्रबंधन भी चिंतित है।

18 वार्ड और 600 बेड की क्षमता

जिला अस्पताल में कुल 18 वार्ड है और 600 बेड की क्षमता है। रोगियों के बढऩे से वार्ड कम पडऩे लगे है। कई बार ऐसी स्थिति भी आती रहती है जब मरीजों को गैलरी में बेड लगातार भर्ती किया जाता है। इससे मरीज परेशान होते हैं। लेकिन वार्ड फुल होने पर विकल्प के चलते मरीजों को यहां भर्ती करना पड़ता है। वहीं जनाना विंग में तो स्थिति और भी खराब है। वहां पर महिला व शिशुरोग वार्ड में एक-एक बेड पर दो-दो रोगियों को भर्ती करने के मामले सामने आते रहते हैं। मौसमी बीमारियों बढऩे पर ऐसे हालात हो जाते हैं।

डे-केयर में मरीजों का उपचार

बुखार और अन्य मौसमी बीमारियों के मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की बजाय उन्हें डे-केयर में उपचार दिया जा रहा है। अस्पताल पर भर्ती मरीजों के दबाव को कम करने के लिए एक वार्ड को डे-केयर बना दिया गया है। जहां पर मरीजों को कुछ देर तक रखकर ड्रिप व इंजेक्शन देने के साथ उपचार के बाद उसे घर भेज दिया जाता है। इस वार्ड में रोजाना रोगियों की संख्या का आंकड़ा बढ़ा है।

इमरजेंसी में जगह कम, शिफ्टिंग अधरझूल

अस्पताल की इमरजेंसी पूर्व में मुख्य गेट के सामने की तरफ थी, जो पीछे शिफ्ट कर दी गई। शिफ्ट करने से दुर्घटना के दौरान और गंभीर मरीजों को काफी परेशानी आती है। क्योंकि एक्स-रे और सीटी जांच पुरानी इमरजेंसी के पास है। इस बीच फिर से इमरजेंसी को पुराने स्थान पर लाने की कवायद शुरू की गई। जिससे मरीजों को राहत मिल पाए। वहीं वर्तमान में इमरजेंसी में जगह काफी कम है और दुर्घटना की स्थिति में उपचार करना काफी मुश्किल हो जाता है। केवल 10 बेड ही लगे है। वहीं आपातकालीन इकाई को पुराने स्थान पर शिफ्ट करने का मामला अधरझूल में चल रहा है।

वार्ड के साथ अतिरिक्त स्टाफ की भी जरूरत

रोगियों की संख्या को देखते हुए अस्पताल में वार्ड बढ़ाने की जरूरत है। इससे पहले वार्ड संचालन के लिए अतिरिक्त कर्मचारी चाहिए, तभी मरीजों की देखभाल संभव हो सकती है। वर्तमान में जो स्टाफ है, वह 18 वार्ड संचालन के लिए ही पर्याप्त है। इससे अधिक वार्ड पर अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत होगी। इमरजेंसी में भी 20 बेड की आवश्यकता है। अभी जगह कम होने के कारण केवल दस बेड ही हैं।
-डॉ. बीएल मंसूरिया, अधीक्षक राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर

Hindi News / Barmer / अस्पताल पर मरीजों का बढ़ता दबाव, 170 से अधिक रोजाना भर्ती, कम पडऩे लगे वार्ड

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.