बालोतरा. हर बार चुनाव। बार-बार वादे। बालोतरा को जिला बनाने के इरादे और बजट सत्र में इंतजार करती मालाणी क्षेत्र की करीब आठ लाख की आबादी लेकिन बाद में निराशा। बहुत हो चुका यह छल। बालोतरा जब तक नहीं जोर से नहीं बोलेगा सरकार नहीं सुनेगी। सरकार का इस बार आखिरी बजट सत्र है। इस आखिरी सत्र से पहले बालोतरा अपनी आवाज को पत्रिका के साथ पुरजोर तरीके से उठाए और बालोतरा केा जिला बनाने की मांग सरकार कानों तक गूंजे। पत्रिका अभियान के जरिए बजट सत्र से पहले आपकी आवाज को आवाज देगी।
बालोतरा.1952 में बाड़मेर जिला बना और 1967 के करीब बालोतरा को जिला बनाने की मांग उठी। 1980 के दशक के बाद से लगातार हर चुनाव में कोई भी सरकार बनी हों बालोतरा को जिला बनाने की मांग प्रमुखता से उठी है। 37 सालों से इस बात को दोहराने वाले न तो जनप्रतिनिधि नए हैं और न ही सरकारों के चेहरे। तीस से चालीस बजट सत्र हो गए और बालोतरा के लोग टकटकी लगाकर इंतजार कर रहे हैं कि कब यह घोषणा हों लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ। इस बार तो सरकार की ओर से दावा किया गया है कि सबकुछ तैयार है।
क्यों बनना चाहिए बालोतरा जिला – 2700 वर्ग किमी तक फैला है बाड़मेर जिला – 26 लाख से अधिक हो चुकी है बाड़मेर जिले की आबादी – 489 ग्राम पंचायतों का बड़ा जिला है बाड़मेर
– 2756 राजस्व गांव है अब बाड़मेर में – 397 पटवार मण्डल – 15 तहसीलदार है बाड़मेर में – 11 उपखण्ड है जिले में यह है समस्या – दूरी सबसे बड़ी समस्या है, कई गांव दो सौ किलोमीटर से ज्यादा दूर है
– जिला मुख्यालय बाड़मेर होने से विकास के हाशिए पर है बालोतरा – बालोतरा क्षेत्र की आबादी भी आठ लाख से ज्यादा है। इस आबादी के लिए अलग जिला अब जरूरी है – जिला स्तरीय अधिकारियों को बॉर्डर पर देना होता है ध्यान , इसलिए बालोतरा की हो रही उपेक्षा
पत्रिका व्यू बीते दिनों बालोतरा को जिला बनाने की बात एकदम सामने आई थी। एेसा लगा था कि आज ही घोषणा की जाएगी लेकिन हुआ नहीं। बजट के हर सत्र में भी यही हुआ है। मतलब साफ है कि मामला कहीं आकर अटक रहा है और हम मांग तो कर रहे है लेकिन आवाज नहीं उठा रहे। आवाज क्षेत्र के विकास की है तो जोर से उठे और शोर करे। जब एकसुर में पूरा इलाका बोलेगा तो सरकार सुनेगी। जिला बनने की बात को हौड़ के साथ उठाने का प्रयास आज से ही करें।