छठीं से दसवीं तक की कक्षाओं से आवेदन मांगे जाते हैं जिसमें मात्र चंद स्कू ल ही रुचि ले रहे हैं जिनकी प्रतिभाएं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है जबकि बाकी स्कू लों में भी प्रतिभाएं कम नहीं हैं, लेकिन स्कू ल प्रबंधन की बेरुखी के चलते उनको पता ही नहीं चल पा रहा और वे अपनी सोच को पहचान देने से वंचित रह रहे हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली एवं नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन गांधीनगर गुजरात की ओर से छठीं से दसवीं तक के स्कू ली विद्यार्थियों (आयु १०-१५ वर्ष ) सृजनात्मक/नवाचारी सोच विकसित करने को लेकर इंसपायर अवार्ड मानक योजना का संचालन किया जा रहा है जिसमें देश भर से स्कू ली विद्यार्थियों के एेसे श्रेष्ठ एवं मौलिक/सृजनात्मक विचारों को संबल प्रदान किया जाता है जो सामाजिक आवश्यकताओं व उपयोगिताओं की कसौटी पर खरे उतरते हैं। २०२१-२२ शिक्षा सत्र के लिए विद्यार्थियों के ऑनलाइन नॉमिनेशन १५ जुलाई से १५ अक्टूबर तक मांगे गए हैं, जिसमें बाड़मेर जिले के आवेदन बहुत कम हुए हैं। जानकारी के अनुसा पूरे प्रदेश में दो लाख आवेदन का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से बाड़मेर से करीब १४ हजार आवेदन होने हैं, लेकिन अब तक मात्र २१०० आवेदन ही हो पाए हैं। खास बात यह है कि पिछले साल प्रदेश इस योजना में आवेदन में देश में अव्वल था जबकि इस बार कम आवेदन गए हैं। निजी नगण्य, सरकारी भी कम– जिले में ४७६४ प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कू ल हैं जिसमें से करीब तीन हजार में छठीं से आठवीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही है। इन स्कू लों को आवेदन करना होता है लेकिन जिले से अब तक मात्र २१०० आवेदन हुए हैं। निजी विद्यालयों ने तो इक्का-दुक्का ही आवेदन किया है। पिछले सत्र में ४३० को इंसपायर अवार्ड- ऑनलाइन आवेदन के बाद सृजनात्मक एवं मौलिक सोच वाले आइडिया में से विद्यार्थियों का चयन होता है। उनके मॉडल, प्रदर्शनी आदि को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दिखाने का मौका मिलता है तो दस हजार रुपए से लेकर पचास हजार रुपए तक की राशि भी प्रोत्साहन स्वरूप मिलती है। पिछले साल बाड़मेर जिले में ४३० विद्यार्थियों को इंसपायर अवार्ड मिल चुका है।
आवेदन कम आ रहे-पूरे प्रदेश में इंसपायर अवार्ड के आवेदन कम जमा हुए हैं। अब निदेशालय ने मॉनिटरिंग को लेकर जिला नोडल अधिकारियों के मार्फत आवेदन करवाने की मुहिम शुरू की है। हर विद्यालय से आवेदन जमा हो इसको लेकर कार्य योजना बनाई जा रही है। निजी विद्यालयों से आवेदन कम आ रहे हैं जबकि सरकारी स्कू लों से भी पर्याप्त आवेदन जमा नहीं हुए हैं।- जेतमालसिंह राठौड़, एडीईओ माध्यमिक बाड़मेर