उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर तक औसत तापमान 25 से 28 डिग्री तक चला जाएगा, जिस दौरान सरसों फसल की बिजाई कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बाड़मेर के सिचित क्षेत्रो में सरसों की खेती अधिक होती है जो रेतीली से लेकर भारी दोमट मिट्टी में भी जा सकती है। उन्नत किस्में, प्रमाणित बीज, समय पर बिजाई एवं फसल सुरक्षा आदि तरीकों को अपनाकर इसके उत्पादन को बढाया जा सकता है।
बुवाई के दौरान ये करें– बीज जनित रोगों से सुरक्षा के लिए फफूंद नाशक दवा बाविस्टिन 2 ग्राम या थीरम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम से बीज उपचारित करें। उन्नत किस्में- बाड़मेर क्षेत्र में समय पर बिजाई के लिए सीएस -58, सीएस-6 एन.आर.सी.एच.बी. 101, आर.एच.749 एवं गिरीराज इत्यादि किस्में जो यहां की जलवायु के लिए उपयुक्त है, का प्रयोग करें।
बिजाई का तरीका- सरसों की ड्रिल विधि से बिजाई करें। बीज की गहराई 4 से 5 सेंटीमीटर रखें। पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखें। खड़ी फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट और 2.5 प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर 10-14 दिन के अन्तराल पर दो छिडक़ाव करें।