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श्रीमाली समाज लूनी कांठ के प्रवक्ता कमलेश दवे बताते हैं कि यहां महाशिवरात्रि के दिन बनने वाला शंभू रोठ अपने आप में कई विशेषताओं से परिपूर्ण है। यह रोठ घर-घर से प्रसाद के रूप में आटा एकत्र कर बनाया जाता है, जिसे शंभू रोठ कहते हैं। कई किसान इसे कुंभ का भंडार भी कहते हैं । ग्रामीण बताते है कि 40 किलो आटे से बीस-बीस किलो के मात्र दो रोठ बनाए जाते हैं।
दो रोठ इसलिए बनाए जाते हैं कि यहां पर किसान खरीफ और रबी की फसलेंं ही लेता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस रोठ के शगुन से ग्रामीणों को अनुमान लगता है कि खरीफ और रबी की फसलें आगामी समय में कैसी होंगी या जमाना कैसा होगा? इस आधार पर किसान खेती करता है।
श्रीमाली समाज लूनी कांठ के प्रवक्ता कमलेश दवे बताते हैं कि यहां महाशिवरात्रि के दिन बनने वाला शंभू रोठ अपने आप में कई विशेषताओं से परिपूर्ण है। यह रोठ घर-घर से प्रसाद के रूप में आटा एकत्र कर बनाया जाता है, जिसे शंभू रोठ कहते हैं। कई किसान इसे कुंभ का भंडार भी कहते हैं । ग्रामीण बताते है कि 40 किलो आटे से बीस-बीस किलो के मात्र दो रोठ बनाए जाते हैं।
दो रोठ इसलिए बनाए जाते हैं कि यहां पर किसान खरीफ और रबी की फसलेंं ही लेता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस रोठ के शगुन से ग्रामीणों को अनुमान लगता है कि खरीफ और रबी की फसलें आगामी समय में कैसी होंगी या जमाना कैसा होगा? इस आधार पर किसान खेती करता है।
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ख्यातिनाम क्रिकेटर गौतम गंभीर, रुद्र प्रतापसिंह, समाजवादी पार्टी के नेता स्व. अमरसिंह और जोधपुर के पूर्व सांसद गजसिंह सहित देश की नामी हस्तियों का यहां से जुड़ाव रहा है।
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