शिव उपखण्ड से गडरारोड अलग उपखण्ड मुख्यालय बनाने की वजह बॉर्डर की दूर-दूर के पटवार मण्डलों के लोगों को 170 किमी दूरी शिव जाने के चक्कर से राहत देनी थी। दूसरी बात यह है कि यहां बॉर्डर इलाके में जाने के लिए उपखण्ड अधिकारी की अनुमति जरूरी है। बॉर्डर पर चल रहे विकास के कार्य, नेशनल हाईवे, भारतमाला योजना, रेलवे स्टेशन, बीएसएफ कार्य और अन्य के लिए आने वाले लोगों को गडरारोड से ही अनुमति मिल जाने की सुविधा का ख्याल रखा था। इसमें जमीन व अन्य कार्य की सहूलियत भी शामिल थी।
शिव उपखण्ड अधिकारी को ही कार्यवाहक का चार्ज
राज्य सरकार ने उपखण्ड अधिकारी का पद तो स्वीकृत कर दिया, लेकिन अधिकारी बॉर्डर के अंतिम उपखण्ड कार्यालय तक आने के लिए तैयार नहीं हैं। उधर राज्य सरकार भी यहां अब तक किसी को नियुुक्ति नहीं दे रही है। लिहाजा यहां लोगों के लिए उपखण्ड अधिकारी कार्यालय की सुविधा होते हुए भी निराश है। अभी भी खाली ऑफिस के ही चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सौ किमी दूर शिव उपखण्ड अधिकारी को ही कार्यवाहक का चार्ज हैं। जो सप्ताह में एक दिन मंगलवार को पहुंचते हैं।सीमांत ग्रामीणों को फिर 170 किमी का चक्कर
शिव एसडीएम को गडरारोड का अतिरिक्त कार्यभार मिलने से सीमावर्ती सुंदरा, रोहिडी,मुनाबाव के ग्रामीणों को जरूरी काम होने पर 170 किमी शिव जाना पड़ता हैं। यह भी पढ़ें