इस दौरान जायजा लेने पर पता चला कि लूनी नदी किनारे, सड़ा, कोशलू, जूना मीठा खेड़ा, धनवा, धाका व भूका भगतसिंह सहित अधिकतर स्थानों पर स्थापित आरओ प्लांट लंबे समय से ताले में बंद होने से मशीनें अनुपयोगी हो गई हैं।
आमजन फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। मालूम हुआ कि लोगों में जागरूकता व कंपनी व पीएचईडी के प्रभावी मॉनिटरिंग न होने के कारण आरओ प्लांट न के बराबर उपयोगी साबित हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक एक आरओ प्लांट पर प्रति महीने 5 हजार रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर ऐसा नजर नहीं आ रहा है।
आमजन भी कर रहे नजरअंदाज
लोगों ने कुछ दिन के लिए आरओ प्लांट से पानी लेने में रुचि ली, लेकिन कस्बे व ग्राम पंचायतों से दूर होने के कारण लोग रुचि नहीं ले रहे हैं। अधिकतर आरओ झाड़ियों में कस्बों से दूर हैं।
फ्लोराइडयुक्त पानी से बीमारियों की आशंका
दोनों पंचायत समितियों में लगे अनुपयोगी आरओ प्लांट के बावजूद लोग फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं। इससे युवाओं और बच्चों के एक तरफ से दांत पीले हो रहे हैं तो दूसरी तरफ बुजुर्ग और युवा जोड़े के दर्द से परेशान हो रहे हैं।
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प्रति महीने ऑपरेटर को वेतन, फिर भी बंद
जानकारी के अनुसार गांव ढाणी में लगे आरओ पर कर्मचारी को कंपनी की ओर से प्रति महीने दो हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। जबकि नियमित आरओ नहीं खुलने के कारण धीरे-धीरे कबाड़ हो रहे हैं।
मेरे क्षेत्र में 11 आरओ प्लांट हैं, जहां कहीं भी आरओ प्लांट हैं, वे सुचारू करवाए जाएंगे। लोग आरओ प्लांट से पानी नहीं ले जा रहे हैं।
रमेश वैष्णव, सहायक अभियंता,पीएचईडी गुड़ामालानी।
पुराने आरओ संचालित हो रहे हैं। नए आरओ प्लांट के लिए कई बार पत्र लिखे, कॉल भी किए ,लेकिन कंपनी कोई जवाब नहीं दे रही है। मेरे क्षेत्र में बंद आरओ रिपोर्ट कर तुरंत चालू करवाएंगे।
दीपकसिंह, सहायक अभियंता, पीएचईडी, सिणधरी।