अब जिले में मोठ, ग्वार की बम्पर बुवाई होने की आस है तो चारा-पानी का इंतजाम भी होने की आस जगी है। सीमावर्ती जिले में बारिश का इंतजार करते-करते किसानों की आस खत्म हो चुकी थी। करीब साढ़े तीन माह के इंतजार के बाद किसानों को लगने लगा था कि इस बार थार में इन्द्र मेहरबान नहीं होगा।
इसके बाद मानसून सक्रिय हुआ तो बारिश की चेतावनी थी लेकिन किसानों के चेहरों पर मायूसी ही थी क्योंकि उनको लगा कि अब बारिश शायद ही हो। इसके बाद पिछले एक सप्ताह से मानसून सक्रिय हुआ तो पूरे जिले में बारिश हो रही है। इस बारिश ने कुलमाई फसलों को फिर से हरा-भरा कर दिया है तो किसानों के मुरझाए चेहरे अब खिले-खिले नजर आ रहे हैं।
चलने लगे हल, ग्वार-मोठ की बुवाई- बारिश का दौर शुरू हुआ तो जिन खेतों में हल नहीं चले थे, वहां भी बुवाई होने लगी। अब किसानों का ध्यान ग्वार-मोठ की बुवाई पर ज्यादा है। मूंग व तिल से उम्मीद कम हो गई है तो बाजरा भी कम होने की आस है।
करीब पचास हजार हैक्टेयर में अतिरिक्त बुवाई- अब बारिश होने पर किसान ग्वार व मोठ की बुवाई पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, विशेषकर बाड़मेर, शिव, सिणधरी, रामसर ब्लॉक में कई गांवों में जहां पहले कम बारिश हुई थी, वहां खेतों की जुताई का काम चल रहा है। करीब पचास हजार हैक्टेयर में अतिरिक्त बुवाई हुई है।
फसलों को मिलेगी संजीवनी- बारिश होने से खड़ी फसलों को संजीवनी मिलेगी। अब ग्वार व मोठ की बुवाई हो रही है जो थोड़ी बहुत है। पूर्व में ११ लाख ९३ हजार हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। बारिश फसलों के लिए अच्छी है।– डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी