बढ़ी महंगाई के साथ कोरोना के कारण आमजन का कामकाज ठप रहा जिसका असर निर्माण कार्यों पर पड़ा है, लोग अभी भी निर्माण कार्य करवाने में रुचि नहीं ले रहे। जिस पर दिहाड़ी मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही। एेसे में किसी मजदूर को रोजगार मिल रहा तो कोई बेकार बैठा रहता है।कोरोना का असर हर आमजन पर पड़ा है।
दूसरी लहर के चलते मार्च में कोरोना लॉकडाउन लगा जो ६ जून तक चला। इसके बाद धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही है। अब सुबह पांच बजे से शाम सात बजे तक बाजार खुल रहे हैं तो वाहनों की आवाजाही शुरू हो चुकी है।
एेसे में दिहाड़ी मजदूर भी रफ्ता-रफ्ता गांवों से बाड़मेर शहर की ओर आ रहे हैं, लेकिन यहां अभी भी कोरोना की मार के चलते काम की कमी है। गौरतलब है कि शहर में राय कॉलोनी, चौहटन फाटक, गडरारोड चौराहा, सिणधरी चौराहा पर मजदूरों की भीड़ रहती है। हर शहरवासी को पता है कि इन स्थानों पर मजदूर मिलेंगे जिस पर भवन निर्माण कार्य हो या फिर रंग रोगन का कार्य। घरेलू कार्य हो या फिर साफ-सफाई का काम ठेकेदार और मालिक यहां पहुंच जाते हैं। पिछले पन्द्रह-बीस दिन में यहां मजदूरों की भीड़ फिर से जुटने लगी है, लेकिन कार्य आशानुरूप नहीं मिल रहा।
आधे से कम को रोजगार, बाकी बेरोजगार- जानकारी के अनुसार अभी शहर में गांवों में मजदूरी पर आने वालों की तादाद हजार के आसपास ही है। इन मजदूरों में से आधे से कम ही रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। कभी कभार कोई मजदूर के लिए आता है तो एक साथ कई जने पहुंच जाते हैं। जिनको काम मिल जाता है उनके तो ठीक है बाकी आधे दिन तक इंतजार के बाद घर लौट जाते हैं।
गांवों में बारिश ना काम- इन दिनों गांवों में भी निर्माण कार्य कम हो चुके हैं। सरकारी योजनाओं के तहत भी कम ही कम चल रहे हैं। एेसे में रोजगार नहीं मिल रहा। दूसरी ओर बारिश नहीं होने से खेतीबाड़ी भी नहीं हो रही जिस पर दिहाड़ी मजदूरी के लिए लोग शहर आ रहे हैं।