मुख्यमंत्री चुनाव में मशगूल, प्रदेश में कानून व्यवस्था बची ही नहीं: भाजपा
सीमा के आखिरी स्टेशन की ओर…
210 किमी बाड़मेर-जोधपुर इलेक्ट्रिक लाइन ट्रॉयल पूर्ण
100 किमी बाड़मेर-मुनाबाव विद्युतीकरण गडरारोड़ तक पहुंचा
421 करोड़ समदड़ी-मुनाबाव इलेक्ट्रीफिकेशन बजट
2023 दिसम्बर तक कार्य होगा पूर्ण
स्नैपचैट के जरिए शादीशुदा महिला को हुआ प्यार, छोड़ा घर-परिवार, फिर पति के साथ लौटी तो कहा…मुझसे गलती हो गई
यहां खास तथ्य यह है कि यह वही गडरारोड़ है जो 1947 में बसा था। देश की आजादी के वक्त पाकिस्तान के व्यापारिक कस्बे गडरासिटी के सभी लोगों ने एक साथ फैसला लिया और रातों-रात गडरासिटी छोड़कर भारत के गडरारोड़ आकर बस गए। गडरासिटी अब वीरान पड़ा है, वहां एक विद्युत खंभा है न विकास। इधर, गडरारोड़ भारत का बड़ा व्यापारिक कस्बा बन गया है और यहां विद्युत रेल की तैयारियां अंतिम चरण में है।