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बाड़मेर

रेगिस्तान में आठ करोड़ के केर सांगरी की उपज,जानिए पूरी खबर

– आठ से दस करोड़ की होती है उपज- काजू बादाम आते है और केर सांगरी जाते है
– रेगिस्तान में लग सकता है अचार उद्योग

बाड़मेरApr 30, 2018 / 09:47 am

Ratan Singh Dave

 Ker Sagari, Desert

Earning 8 crores Ker Sagari in the Desert

बाड़मेर.अजब तेरी कारीगरी करतार। रेगिस्तान का बाड़मेर जिला। 2711 गांवों में अकाल। चारे-पानी की किल्लत से लोग परेशान लेकिन कुदरत का करिश्मा देखिए कि यहां आठ करोड़ की केर-सांगरी की उपज हो गई। न किसी ने इसको बोया न रखा ख्याल। कंटीली झाडि़यों और खेजड़ी पर उगे इन फलों से आने वाले तीन माह तक रेगिस्तान के लोग सब्जी,अचार का स्वाद तो लेंगे ही इसे विलायत तक भेजते है। बदले में विलायत से इनके लिए काजू-बादाम के उपहार आते है।
रेगिस्तान में केर की कंटीली झाडि़यां हर गांव-ढाणी में है। गर्मी की शुरुआत मार्च में होती है और केर का फल आ जाता है। इसका अचार और सब्जी इतनी लजीज होती है कि गीले केर तो खाते ही सूखे भी बहुत मांग में रहते है। गीले केर की कीमत 60 से 100 रुपए किलोग्राम और सूखा 1500 रुपए तक में बिकता है। एक पेड़ पर 10 किलो केर लगते है। थार में करीब पांच करोड़ के केर इस बार उपज में आने का कृषि वैज्ञानिकांे अनुमान है। इसी तरह सांगरी भी खेजड़ी पर लगती है और खेजड़ी राज्यवृक्ष है। इस बार करीब तीन करोड़ की सांगरी की उपज का अनुमान लगाया गया है। सांगरी 100 रुपए किलोग्राम है।
देशभर में मांग- यहां बहुतायत में होने वाले केर सांगरी को सीजन शुरू होते ही व्यापारी बड़े शहरों में ले जाकर तत्काल बेते है। 60 प्रतिशत खपत तो स्थानीय स्तर पर ही हो जाती है। इसके अलावा जो रिश्तेदार प्रदेश के अन्य जगहों में रहते है उनके लिए भी उपहार स्वरूप केर भेजे जाते है।
होटल रेस्टोरेंट में मांग- केर सांगरी की सब्जी तो अब प्रदेश के हर होटल रेस्टोरेंट में मांग पर रहती है। एेसे में होटल व्यवसायी भी इस मौसम में केर सांगरी के लिए यहां पहुंच जाते है और बड़ी मात्रा में खरीदकर ले जाते है। इसको सूखाकर रख दिया जाता है जो वर्षपर्यन्त काम में आती है।
किताबों कॉपियों का इंतजाम- गर्मी की छुट्टियों के ठीक पहले यह उपज आती है। एक अचंभित बात यह भी है कि गरीब परिवारों विद्यार्थी केर सांगरी को एकत्रित कर हर साल बेचते है। इससे उनको हजार दो हजार रुपए की कमाई आसानी से हो जाती है। आगे की पढ़ाई के लिए इसका इंतजाम करते है। एेसा हर गांव में आठ-दस परिवारों में होता है।- शेरसिंह भुरटिया, शिक्षक
औषधीय व गुणकारी- केर का वैज्ञानिक नाम केपरिस डेसीडुआ है। यह केंसर रोग में एंटी बाइटिक का कार्य करता है। इसके अलावा कई उपयोग है। सांगरी भी फंगल, दर्द निवारक और कफ को कम करती है। यहां पर इनकी बहुतायत का कारण रेगिस्तान है। केर और सांगरी को यहां उद्योग के रूप मे ंविकसित किया जाए तो किसानों को लाभ हो सकता है। आठ करोड़ की उपज तो हर साल हो जाती है।– डा. प्रदीप पगारिया कृषि वैज्ञानिक

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