-शहर की सड़कें गुलाल से सराबोर
बाड़मेर•Sep 27, 2018 / 04:19 pm•
Moola Ram
बाड़मेर. गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू फिर से आ, मंगल मूरती मोरिया के जैकारों से शहर की गलियां सुबह से शाम तक गूंजती रही। शहर की गलियों में डीजे की धुन पर नाचते,गाते युवक-युवतियां व बच्चे गणपति के जयकारे लगा रहे थे। अवसर था अनंत चतुर्दशी पर गणपति प्रतिमाओं विसर्जन का। रविवार को शहर के जसदेर तालाब पर भगवान गणपति की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना कर विधि-विधान से विदाई दी गई।
बाड़मेर. गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू फिर से आ, मंगल मूरती मोरिया के जैकारों से शहर की गलियां सुबह से शाम तक गूंजती रही। शहर की गलियों में डीजे की धुन पर नाचते,गाते युवक-युवतियां व बच्चे गणपति के जयकारे लगा रहे थे। अवसर था अनंत चतुर्दशी पर गणपति प्रतिमाओं विसर्जन का। रविवार को शहर के जसदेर तालाब पर भगवान गणपति की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना कर विधि-विधान से विदाई दी गई।
बाड़मेर. गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू फिर से आ, मंगल मूरती मोरिया के जैकारों से शहर की गलियां सुबह से शाम तक गूंजती रही। शहर की गलियों में डीजे की धुन पर नाचते,गाते युवक-युवतियां व बच्चे गणपति के जयकारे लगा रहे थे। अवसर था अनंत चतुर्दशी पर गणपति प्रतिमाओं विसर्जन का। रविवार को शहर के जसदेर तालाब पर भगवान गणपति की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना कर विधि-विधान से विदाई दी गई।
गणपति प्रतिमाओं विसर्जन का। रविवार को शहर के जसदेर तालाब पर भगवान गणपति की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना कर विधि-विधान से विदाई दी गई। गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुए गणपति महोत्सव में पिछले 10-11 दिनों से शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे पंडाल में उत्सव का माहौल रहा। विसर्जन के दिन सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई। गणपति प्रतिमाओं को तालाब तक ले जाने के लिए वाहनों की विशेष रूप से सजाया गया।
गणपति प्रतिमाओं विसर्जन का। रविवार को शहर के जसदेर तालाब पर भगवान गणपति की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना कर विधि-विधान से विदाई दी गई। गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुए गणपति महोत्सव में पिछले 10-11 दिनों से शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे पंडाल में उत्सव का माहौल रहा। विसर्जन के दिन सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई। गणपति प्रतिमाओं को तालाब तक ले जाने के लिए वाहनों की विशेष रूप से सजाया गया।
गणपति प्रतिमाओं विसर्जन का। रविवार को शहर के जसदेर तालाब पर भगवान गणपति की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना कर विधि-विधान से विदाई दी गई। गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुए गणपति महोत्सव में पिछले 10-11 दिनों से शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे पंडाल में उत्सव का माहौल रहा। विसर्जन के दिन सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई। गणपति प्रतिमाओं को तालाब तक ले जाने के लिए वाहनों की विशेष रूप से सजाया गया।
ग्यारह दिन चले गणपति महोत्सव के दौरान शहर की गली-गली में गणेशा को मनाने के कई जतन हुए। रोजाना पूजा-अर्चना व विभिन्न भोग लगा मन्नतें मांगी गई। कई जगह देर रात तक भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चले। आखिर जब विसर्जन का समय आया तो भक्त उन्हें जसदेर तालाब किनारे ले आए। यहां गणपति को विदाई देने आए कई भक्त उदास थे। उन्हें गणपति की विदाई अच्छी नहीं लग रही थी। इस दौरान वहां पहुंचे एक नन्दी ने गणेशा को दुलारा, मानो कह रहा हो कि कैलाश चलो गणपति...।
गणपति के साथ सेल्फी डीजे पर भक्ति गीतों पर नाचते गाते श्रद्धालु गणपति के साथ सेल्फी लेते नजर आए। जसदेर तालाब पर मेले जैसा माहौल रहा।
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