बाड़मेर

क्रूड चोरी का काला धब्बा तो लग गया, अब नुकसान जांचने की फुर्सत भी नहीं

राजस्व नुकसान का नहीं हो रहा आकलन- अगस्त में बनाई थी कमेटी, अभी तक कुछ नहीं हुआ- पुख्ता व्यवस्थाओं के नाम पर फिर मजाक

बाड़मेरNov 09, 2017 / 10:58 am

Moola Ram

Crude oil theft

बाड़मेर. देश के सबसे बड़े तेल खजाने मंगला प्रोसेसिंग (एमपीटी) क्षेत्र के कुओं से निकलने वाले कू्रड ऑयल चोरी के काले धब्बे को धोने में भले ही अभी वक्त लगेगा। लेकिन, सरकार अभी तक इस चोरी से हुए राजस्व नुकसान का आकलन तक नहीं कर पाई है। इस संबंध में कमेटी बने तीन माह हो गए, नतीजा सिफर है। भविष्य में इस तरह की चोरियां नहीं हो, इसके लिए भी कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि क्रूड ऑयल की चोरी में जिम्मेदारों ने मामूली राशि के लोभ में अपना जमीर बेच दिया। फैक्ट्री मालिक सहित कई ठेकेदार व टैंकर चालक पुलिस की पकड़ में है। पुलिस के बाद एसओजी और अब एटीएस के पास इस मामले की जांच है।
इन्हें दिया था आकलन का जिम्मा

खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में 11 अगस्त को जयपुर में बैठक हुई, जिसमें बाड़मेर कलक्टर, ऑपरेटर कम्पनी केयर्न एजेंसी, केन्द्र सरकार की पार्टनर कम्पनी ओएनजीसी, हाइड्रोकार्बन महानिदेशक के प्रतिनिधियों को राजस्व की हानि के आकलन के निर्देश दिए गए। लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
सरकार का तर्क

क्रूड ऑयल चोरी के राजस्व पर सरकार का तर्क है कि बाड़मेर-सांचौर बेसिन से क्रूड ऑयल का राजस्व उत्पादन पर मिलता है, लेकिन चोरी परिवहन के दौरान हुई है। उत्पादित क्रूड ऑयल का परिवहन पाइप लाइन के माध्यम से हो रहा है। केवल 3 प्रतिशत भाग टैंकरों के जरिए परिवहन हो रहा है, जिसमें सेंध लगाई गई।
यह सावचेती भी समझ से परे

क्रूड ऑयल चोरी के बाद भविष्य में सावचेती और इस तरह की घटनाओं की पुनरावर्ती रोकने के लिए सरकार जो तथ्य बता रही है, वे भी जानकारों की नजर में समझ से परे है। सरकार का कहना है कि :-
प्रतिदिन खनिज तेल उत्पादन की ऑनलाइन रिपोर्ट ली जा रही है।
– यह रिपोर्ट तो पहले से ही जा रही है, इसमें कोई नई बात नहीं है।
सभी जगह सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है।

– दावा है कि एमपीटी में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं लेकिन जिम्मेदारों को मामूली राशि में खरीद लिया गया। कैमरे होने के बावजूद क्रूड ऑयल चोरी का काला कारनामा चलता रहा। वेलपेड, क्यूआरटी, वीटीएस सिस्टम, वीटीएस कंट्रोल कर्मचारी, सिक्यूरिटी गार्ड सहित सभी की मिलीभगत के चलते यह खेल चलता रहा। एमपीटी के लोडिंग व अनलोडिंग आपरेशन की मॉनिटरिंग व सुपरविजन पर लगे कार्मिक भी फैक्ट्री मालिक के सम्पर्क में थे।
व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम लगाए गए हैं।
– पहले से यह सिस्टम है, जिसे मिलीभगत के खेल में फेल कर दिया गया। फैक्ट्री में क्रूड ऑयल खाली कर चालक पानी लेकर एमपीटी आता, जहां सर्वेयर ओके रिपोर्ट दे देते। वीटीएस सिस्टम पर अलर्ट मैसेज आने के बाद भी कर्मचारी समय पर मैसेज नहीं भेजते, इसकी एवज में प्रति टैंकर उन्हें रुपए मिलते। क्यूआरटी टीम की लोकेशन भी प्रतिमाह तय राशि में बता दी जाती।

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