प्रजापत ने आगे कहा कि दस्तकार महिलाएं इस केन्द्र के माध्यम से अपने हस्तशिल्प उत्पादों को बेच कर लाभांश कमा सकेंगी, जिससे उनकी आजीविका में निरंतरता बनी रहेगी एवं विलुप्त होती हस्तकला को बचाए रखा जा सकेगा। केन्द्र में एक तैयार हस्तशिल्प उत्पादों का शोरूम होगा जहां दस्तकार अपने उत्पादों का क्रय-विक्रय कर सकेगे। सीएफसी कंपनी व दस्तकार महिलाओं के बीच सेतू का काम करेगी।
श्योर संस्था की संयुक्त सचिव लता कच्छवाहा ने बताया कि परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षणों व कार्यशालाओं के साथ-साथ भ्रमण आदि से दस्तकार महिलाओं का क्षमतावर्धन किया जा रहा है जिससे ये गुणवत्ता पूर्ण अपने उत्पादों को तैयार कर सके ताकि वो अपनी मेहनत का पूरा लाभ ले सके। इसके लिए नाबार्ड के सहयोग से बाड़मेर जिले के चौहटन व बाड़मेर ब्लॉक के 20 गांवों की 750 शेयर धारक दस्तकार महिलाओं को जोड़कर थार आर्टिजनस प्रोड्यूजर कम्पनी लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन करवा दिया गया है जिसमें 10 बोर्ड ऑफ डॉरेक्टर्स की कमेटी की ओर से कंपनी का संचालन किया जाएगा।
कंपनी के समस्त कार्य की जिम्मेदारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी की रहेगी। उक्त भवन निर्माण का कार्य माह दिसम्बर 2021 तक पूर्ण कर कंपनी को सुपूर्द कर दस्तकार महिलाओं के लिए उपलब्ध हो जाएगा।थार आर्टिजन्स प्रोडूसर कम्पनी की बोर्ड ऑफ डारेक्टर जरीना सियोल ने दस्तकार शेयर धारको की तरफ से भरोसा दिलाया कि सभी दस्तकारों को नियमित रूप से काम देकर उन्हें अपने हक का लाभ दिया जाएगा।
श्योर संस्था के कोषाध्यक्ष नरेंद्र तनसुखानी, जेठमल जैन, हनुमान चौधरी, शशि कुमार, गणेशदास केला, कानाराम प्रजापत, माधुसिंह, महेन्द्र सिंह, बाबूसिंह, धीरज शर्मा, एईएन सुखराम माचरा, पूरी देवी, चुनी देवी, दाऊलाल ने कार्यक्रम मे शिरकत की।