तनुश्री इन दिनों पश्चिमी राजस्थान की पाकिस्तान से सटे सरहदी इलाके में सीमा सुरक्षा बल और वायुसेना की बीस महिला सैन्य अधिकारियों के साथ कैमल सफारी के जरिए महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सन्देश बाघा बॉर्डर तक देने के मिशन पर हैं।
बाकासर से उनके नेतृत्व में कैमल सफारी का आगाज हुआ। उन्होंने बताया कि बीकानेर निवासी होने के कारण मैंने करीब से बीएसएफ के कामकाज के तरीके को देखा और उन्होंने नौकरी के लिए नहीं पैशन के लिए बीएसएफ को चुना है। उन्होंने कहा कि मेरा फोर्स में जाना तभी मायने रहेगा, जब दूसरी लड़कियां भी बीएसएफ ज्वाइन करना शुरू करेंगी।
मुझे गर्व है कि मैं देश की पहली महिला कॉमाण्डेंट ऑफिसर हूं। तनुश्री स्कूल और कॉलेज के दौरान एनसीसी कैडिट रही है। उन्होंने आईएएस और आरएएस प्री परीक्षा में सफलता हासिल की। तनुश्री ने बताया कि बीकानेर में बॉर्डर फिल्म की शूटिंग हो रही थी और इस समय वह स्कूल जाने लगी थी। इसमें सेना का अहम रोल था और इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर उन्होंने बीएसएफ में जाकर देश की सेवा करने का मन बनाया।
तनुश्री ने बीएसएफ अकादमी में अधिकारियों के 40वें बैच में बतौर सहायक कमांटेंड 52 हफ्तों का प्रशिक्षण लिया और बाद में उन्हें पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनाती मिली है। गौरतलब है कि हाल ही में एयरफोर्स ने फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए महिला पायलट को इजाजत दी है और उसी तरह बीएसएफ में भी बॉर्डर पर ऑपरेशनल ड्यूटी के लिए बतौर अफसर महिलाओं को कमान सौंपने का फैसला किया है। बल ने साल 2013 में महिला अधिकारियों की नियुक्ति शुरू की थी।