21 दिसंबर को उत्तराखंड के श्रीनगर में ड्यूटी दौरान गिरने से जवान हनुमानराम कड़वासरा के सिर में गंभीर चोट लगी थी। उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती करवाया गया। एक दिन भर्ती रहने के बाद 22 दिसंबर को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित किया।
गांव में छाया मातम
कड़वासरा की शहादत के समाचार पर पूरे गांव में मातम छा गया। दुकानदारों ने दुकानें बंद रखी। तड़के करीब साढ़े तीन बजे सड़क मार्ग से पार्थिव देह को बायतु लाया गया था। यहां से एसएसबी, सीमा सुरक्षा के जवान पार्थिव देह को उसके पैतृक गांव बायतु पनजी स्थित निवास पर लेकर पहुंचे। पार्थिव शरीर के बायतु बाजार में से गुजरने पर रास्ते में जगह-जगह खड़े ग्रामीणों ने गाड़ी पर पुष्प बरसा कर भारत माता के जयकारे लगाए।
आंखें हुई नम
शहीद की पार्थिव देह दोपहर 3 बजे पैतृक गांव सालू का तला बायतु पनजी पहुंचने पर अंतिम दर्शन दौरान पत्नी पुष्पा की तबीयत बिगड़ गई। हाथ में तिरंगा थामे बेटा बिलख पड़ा। इकलौती बहन का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। परिवार के लोग फूट-फूट कर रोए। सेना के अधिकारी जीएस भाटी ने उन्हें ढांढ़स बंधवाया। उनकी आखें भी नम हो गई।