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बाड़मेर

एक सरकारी सेवा जिसमें नहीं सेवानिवृत्ति

अस्सी की उम्र में भी संभाल रही चूल्हा चौका

बाड़मेरAug 31, 2021 / 12:38 am

Dilip dave

एक सरकारी सेवा जिसमें नहीं सेवानिवृत्ति

एक सरकारी सेवा जिसमें नहीं सेवानिवृत्ति

दिलीप दवे बाड़मेर. सरकारी सेवा में सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित है, यहां तक की सेवानिवृत्ति के बाद संविदा पर लगे कार्मिकों की आयु सीमा भी तय कर रखी है लेकिन सरकारी रसोड़ा संभालने वाली कुक कम हैल्पर की सेवानिवृत्ति कब होगी यह तय नहीं है।
इस पर जिले में साठ से अधिक आयु की 520 महिलाएं सरकारी रसोड़ा संभाल रही है जिसमें से करीब नब्बे महिलाएं तो सत्तर के पार है तो कई अस्सी से अधिक आयु की है। महिलाएं जरूरत की बात कह कर कुक कम हैल्पर का कम छोड़ नहीं रही और स्कू ल प्रबंधन हटाने का कोई नियम नहीं होने पर उनको हटा नहीं पा रहा है।
उम्र के आखिरी पड़ाव में सरकारी स्कू लों में मिड डे मील के तहत बनने वाले भोजन को बनाने का जिम्मा सैकड़ों महिलाएं संभाल रही है। सीमावर्ती बाड़मेर जिले की बात की जाए तो यहां प्राथमिक स्तर के २ लाख ८४ हजार २४९ बच्चों के लिए खाना बनाने का जिम्मा ५ हजार ७३१ कुक कम हैल्पर के पास है जबकि उच्च प्राथमिक स्तर में मिड डे मील का फायदा १ लाख ३१ हजार ८०२ बच्चों को हो रहा है जिनको जीमाने की जिम्मेदारी ८ हजार १८५ कुक कम हैल्पर महिलाओं की है। इन महिलाओं में से ५२० महिलाएं अब साठ साल से अधिक की हो चुकी है। इनमें से भी ९० महिलाएं एेसी है जो ७० से अधिक है। कुछ महिलाएं तो ८५ साल की हो चुकी है, बावजूद इसके इनको अभी भी कुक कम हैल्पर की जिम्मेदारी दी हुई है। एेसे में सवाल यह है कि क्या इस उम्र में ये महिलाएं सरकारी स्कू लों में पचास-साठ बच्चों के लिए खाना बना पा रही है या नहीं।
मां की जगह बेटी-बहुएं संभाल रही काम- मिड डे मील पकाने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से हर माह मानदेय दिया जाता है। इस मानदेय के चलते अभी भी बुजुर्ग महिलाओं का नाम कुक कम हैल्पर के रूप में चल रहा है। स्थिति यह है कि अधिकांश जगह इन बुजुर्ग महिलाओं की जगह बहु-बेटियां ही पोषाहार पका रही है। इस पर यह मांग हो रही है इन महिलाओं का नाम हटा जो वास्तविक कार्य कर रही है या दूसरी किसी महिला को यह जिम्मा दे दिया जाए। हटाने का नहीं प्रावधान, कैसे करें कार्रवाई– जानकारी के अनुसार कुक कम हैल्पर को हटाने की कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं है। इस पर संस्था प्रधान या विद्यालय प्रबंधन चाह कर भी इन महिलाओं को हटा नहीं पा रहा। मजबूर एवजी से खाना पकवा कर काम चलाया जा रहा है।
साढ़े चौदह सौ रुपए मानदेय- कुक कम हैल्पर को पूर्व में १३२० रुपए मानदेय मिलता था। हाल ही में सरकार ने दस फीसदी बढ़ोतरी की है जिस पर करीब साढ़े चौदह सौ रुपए मासिक मानदेय मिलता है। यह मानदेय जुलाई से लागू किया गया है।
हटाने का नहीं प्रावधान- कुक कम हैल्पर को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। एेसे में बुजुर्ग महिलाएं भी कुक कम हैल्पर का कार्य कर रही है।– अमरदान चारण, एसीबीईओ शिव बाड़मेर

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