दरअसल, वर्ष 2013 में सागरबाई, भाई जयपालसिंह पुत्र उधेसिंह पाक से बाड़मेर आ गए। यहां सागरबाई की शादी वर्ष 2013 में बाड़मेर मगरा निवासी रतनसिंह के साथ हो गई। इसके बाद सागर बाई ने बेटे व बेटी को जन्म दिया। बेटे मानवेंद्र व बेटी जनककंवर को नागरिकता स्वत: ही मिल गई, लेकिन उनकी मां को नगारिकता का इंतजार था। उन्हें शुक्रवार को आयोजित कैंप में नागरिकता मिली है। सागरबाई के भाई जयपालसिंह को भी शुक्रवार को ही नागरिकता मिली है।
अब नाना-नानी को इंतजार
बेटी की शादी के बाद सागरबाई के पिता उधेसिंह व मां भी भारत आ गईं। दो साल पहले ही यहां आए हैं। उनको अब नियमानुसार बाद में नागरिकता मिलेगी। सागरबाई के पति रतनसिंह बताते है कि लंबे समय से चक्कर काट रहे थे।15 साल बाद मिली नागरिकता
इसी तरह दलपतसिंह का परिवार पाकिस्तान से वर्ष 2009 में भारत आ गया था, लेकिन आवेदन करने के बावजूद इन्हें नगरिकता नहीं मिल रही थी। लंबे इंतजार के बाद दलपतसिंह व उनकी पत्नी को वर्ष 2020 में नागरिकता का प्रमाण पत्र मिल गया, लेकिन उनके बेटे अजमलसिंह का आवेदन रह गया। अब शुक्रवार को अजमल को नागरिकता मिली है। अजमल बताते हैं कि 15 साल से चक्कर काट रहे थे, अब नगरिकता मिली है। अब रोजगार तो मिलेगा, यहां तो नगरिकता नहीं होने पर कुछ काम ही नहीं कर सकते थे। आज बहुत खुशी है।पांच साल के आवेदन एक नजर
जिला- 5 साल में जमा आवेदन- निस्तारित- लंबितबाड़मेर- 72- 28- 44
जैसलमेर- 294- 56- 238
बालोतरा- 07- 00- 07
कुल 373- 84- 289