कई राज्यों में हुई बैठक में बरेलवी उलेमाओं को किया नजरअंदाज
मौलाना ने कहा कि भारत सरकार ने वक्फ में संशोधन करने के लिए एक बिल संसद में पेश किया था, उस पर सहमति न बन पाने की वजह से जेपीसी कमेटी का गठन किया गया, और उसके अध्यक्ष जगदम्भीका पाल को बनाया गया था। जगदम्भीका पाल ने तमाम मुस्लिम संगठनों, बुद्धि जिवियो की राए पूरे भारत में बैठक आयोजित करके ले रहे हैं। जब से जेपीसी कमेटी का गठन हुआ है उस वक्त से लेकर अब तक भारत के विभिन्न हिस्सों में मीटिंगे कर चुके हैं, जिसमें खास तौर पर दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगला, बिहार और आखरी मीटिंग लखनऊ में की है। मगर अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि उन्होंने हर जगह बरेलवी उलमा और बरेलवी संगठनो को नहीं बुलाया और मुकम्मल तरीके से नजरअंदाज किया।
मौलाना का आरोप, कमेटी के अध्यक्ष ने नहीं दिया पत्र का जवाब
मौलाना ने कहा कि भारत की मुस्लिम आबादी के हिसाब से अगर देखें तो सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों की आबादी बहुसंख्यक हैं, और ये लगभग 80 फीसद की आबादी पर मुशतमील है। ये निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण रवय्या अपनाया जा रहा है। कमेटी के अध्यक्ष जगदम्भीकापाल ने लखनऊ समेत सभी जगहों पर बरेलवी उलमा और बरेलवी संगठनो को नजरअंदाज किया है , इससे जाहिर होता है कि उनकी नजर में बरेलवी मुसलमानो की कोई एहमियत नहीं है, और वो सिर्फ चंद फीसद मुस्लिम संगठनों से बात करके अपना काम पूरा कर देना चाहते हैं, ये एक तरह से एक विशेष फिरके को बढ़ावा देना और इंसाफ के खिलाफ कार्य करना है। उन्होंने ये भी कहा कि बरेलवी उलमा उनसे बातचीत करके अपना पक्ष रखना चाहते थे, इस सम्बन्ध में उनको पत्र भी लिखा मगर उन्होंने न मुलाकात का समय दिया और न ही पत्र का कोई जवाब दिया। उनके काम करने की ये कार्यशैली जेपीसी कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से बेहतर नहीं कही जा सकती, इस कंडीशन में वक्फ संशोधन बिल पर पारलेमैंट में पेश की जाने वाली रिपोर्ट एक तरफा कहलाएगी। उनको अपने काम करने के तौर तरीकों पर पुनर्विचार करना चाहिए, और 80 फीसद बरेलवी मुसलमानों को जान बूझकर नजरअंदाज करने की पौलीशी को खत्म करना होगा।