विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने अपने आक्रोश प्रदर्शन के दौरान जोर देकर कहा कि भारत में अधिकांश हिंदू मंदिरों, आश्रमों, और धर्मशालाओं पर सरकारी नियंत्रण है, जो कि अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली अंग्रेजों ने इसलिए बनाई थी ताकि मंदिरों से प्राप्त धन को अपने प्रशासनिक और राजनीतिक कामों में लगाया जा सके। ब्रिटिश शासन समाप्त होने के बाद भी भारतीय सरकार ने इस नीति को जारी रखा, और परिणामस्वरूप आज भी मंदिरों और धर्मशालाओं से प्राप्त धन का उपयोग इन धार्मिक संस्थानों के विकास और कल्याण में नहीं किया जाता है। इसके बजाय, नौकरशाह और राजनेता इस धन का उपयोग अन्य सरकारी और राजनीतिक कार्यों के लिए करते हैं।
इसके साथ ही, विहिप के प्रदर्शनकारियों ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में हाल ही में वितरित हुए अशुद्ध प्रसाद के मुद्दे को लेकर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक पर इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। विहिप ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और इसे सीबीआई द्वारा जांचने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि दोषियों को कड़ी सजा दी जा सके।तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद वितरण हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसकी पवित्रता पर किसी भी प्रकार की आंच आना धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। विहिप के नेताओं ने इस घटना को गंभीर धार्मिक अपमान करार दिया और कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से न केवल धार्मिक आस्था को चोट पहुँचती है, बल्कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाते हैं।
आक्रोश रैली के बाद, विहिप ने बरेली के कमिश्नर के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा। इस ज्ञापन में उन्होंने मंदिरों, धर्मशालाओं, और आश्रमों से सरकारी नियंत्रण हटाने की मांग को दोहराया। उन्होंने तर्क दिया कि यह नियंत्रण धार्मिक संस्थानों के आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों के खिलाफ है। विहिप ने कहा कि जब तक इन धार्मिक स्थलों पर से सरकारी नियंत्रण नहीं हटाया जाता, तब तक धार्मिक संस्थान अपनी पूरी क्षमता से समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में योगदान नहीं दे सकते।ज्ञापन में तिरुपति बालाजी प्रसाद मामले पर भी विशेष रूप से जोर दिया गया। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि इस मामले की उच्च-स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। विहिप ने कहा कि प्रसाद वितरण के मामले में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
विहिप के इस प्रदर्शन ने बरेली के हिंदू समुदाय के बीच गहरी चर्चा और प्रतिक्रिया उत्पन्न की। बहुत से लोगों ने विहिप की इस मांग का समर्थन किया कि धार्मिक स्थलों पर से सरकारी नियंत्रण हटाया जाना चाहिए। धार्मिक समुदाय का मानना है कि जब तक मंदिरों और आश्रमों पर सरकारी नियंत्रण रहेगा, तब तक उनका धन और संसाधन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाएंगे।विहिप के जिला अध्यक्ष संजय भदौरिया ने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हिंदू धार्मिक स्थलों से अपना नियंत्रण नहीं हटा लेती। उन्होंने कहा कि विहिप का उद्देश्य न केवल धार्मिक स्थलों की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है, बल्कि यह भी है कि धार्मिक स्थलों से प्राप्त धन का उपयोग समाज के कल्याण और धार्मिक उद्देश्यों के लिए हो।पीलीभीत के जिला अध्यक्ष कृष्णा गंगवार ने भी इस मुद्दे पर जोर दिया और कहा कि यह केवल बरेली या उत्तर प्रदेश का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे भारत के हिंदू धर्मावलंबियों का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय सरकार से यह अपेक्षा करता है कि वह उनके धार्मिक स्थलों की स्वायत्तता और पवित्रता का सम्मान करेगी और उन्हें उनके अपने संसाधनों का स्वतंत्र रूप से उपयोग करने की अनुमति देगी।