उठाए ये सवाल
तीन तलाक बिल पास होने पर सज्जादानशीन ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं हैं। तीन तलाक हमेशा से मान्य हैं और हमेशा मान्य रहेगी। उन्होंने सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट की नज़र में तीन तलाक से रिश्ता नहीं टूटा तो सजा क्यों? तीन साल सजा होने पर पति पत्नी के बीच मोहब्बत बढ़ेगी या तल्खी? जब शौहर जेल में रहेगा तो परिवार का गुजारा कैसे होगा?
तीन तलाक बिल पास होने पर सज्जादानशीन ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं हैं। तीन तलाक हमेशा से मान्य हैं और हमेशा मान्य रहेगी। उन्होंने सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट की नज़र में तीन तलाक से रिश्ता नहीं टूटा तो सजा क्यों? तीन साल सजा होने पर पति पत्नी के बीच मोहब्बत बढ़ेगी या तल्खी? जब शौहर जेल में रहेगा तो परिवार का गुजारा कैसे होगा?
मजहब के अनुसार बनाना होगा क़ानून उन्होंने कहा कि शौहर और बीबी को खुद से अपने हालत में सुधार करना पड़ेगा और इसके लिए दीनी तालिम जरुरी है। तलाक पर दीन-ए-इस्लाम में खुला रास्ता है। एक ही वक़्त पर तीन तलाक देने पर मज़हब ए इस्लाम में मनाही जरुर है लेकिन अगर कोई एक साथ तीन तलाक Triple Talaq दे देगा तो तलाक हो जायेगी। तीन तलाक का अख्तियार शौहर को हासिल है। यह कुरान व सुन्नत से साबित है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर ने भी कहा था कि यहां हर मज़हब के कानून को मानना होगा। मज़हब के अनुसार ही कानून बनाना होगा और मज़हब के मामले में दखल नहीं दिया जायेगा लेकिन हो इसके उलट रहा है। तीन तलाक के बहाने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश की जा रही है।कुछ लोग मुस्लिम औरतों को दीन-ए-इस्लाम के खिलाफ बहका रहे हैं।शरीयत में किसी भी तरह की दखलअंदाज़ी नहीं होना चाहिए।
मुस्लिमों की हिफाजत करें सरकार अगर किसी मियां बीबी की आपस में नहीं बनती तो उन्हें एक तलाक का हुक्म होता है। इस तरह से तलाक लेने के बाद भी यदि उन दोनों में आपसी रज़ामंदी बनती है, तो वह फिर से एक साथ रह सकते हैं, जबकि दो तलाक लेने के बाद वह एक साथ रहना चाहते हैं तो उनका फिर से निकाह कराया जाता है। अगर वाकई सरकार मुसलमानों का हक दिलाना चाहती है तो पहले वो मुसलमानों की हिफाज़त करे। उनकी इबादतगाहों की हिफाज़त करे और मुस्लिम औरतों के शौहरों व बच्चों की हिफाज़त करे। निकाह और तलाक इस्लामी कानून से ही होंगे l