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अजहरी मियां पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को तबियत में सुधार होने पर उन्हें दरगाह आला हजरत स्थित उनके घर ले आया गया था लेकिन शुक्रवार देर शाम उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके इंतकाल की ख़बर फैलते ही देश विदेश में उनके अकीदतमंदों में गम की लहर दौड़ गई और नमाज ए जनाजा में शामिल होने के लिए देश के कई प्रदेशों के अलावा विदेशों से भी उनके मुरीद बरेली पहुंचे। अजहरी मियां के जनाजे को मोहल्ला सौदागरान से इस्लामिया मैदान लाया गया, जहां पर जनाजे की नमाज अदा की गई।
अजहरी मियां पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को तबियत में सुधार होने पर उन्हें दरगाह आला हजरत स्थित उनके घर ले आया गया था लेकिन शुक्रवार देर शाम उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके इंतकाल की ख़बर फैलते ही देश विदेश में उनके अकीदतमंदों में गम की लहर दौड़ गई और नमाज ए जनाजा में शामिल होने के लिए देश के कई प्रदेशों के अलावा विदेशों से भी उनके मुरीद बरेली पहुंचे। अजहरी मियां के जनाजे को मोहल्ला सौदागरान से इस्लामिया मैदान लाया गया, जहां पर जनाजे की नमाज अदा की गई।
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आला हजरत खानदान में पैदा हुए अजहरी मियां की पूरी जिंदगी मसलके आला हजरत को आगे बढ़ाने में गुजरी। अजहरी मियां का जन्म दो फरवरी 1943 को हुआ था। उनकी शुरुआती तालीम मदरसा दारूल उलूम मंजरे इस्लाम मे हुई उन्होंने यहां पर उर्दू के अलावा फारसी की भी तालीम हासिल की।1952 में इस्लामिया इंटर कॉलेज में दाखिला लेकर उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी की भी तालीम हासिल की। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो 1963 में मजहबी तालीम हासिल करने के लिए मिस्र के शहर काहिरा की विश्व प्रसिद्ध अजहरिया यूनिवर्सिटी चले गए और वहां से तालीम लेने के बाद 1966 में वापस लौटे, तभी से उनके नाम के आगे अजहरी लग गया।
आला हजरत खानदान में पैदा हुए अजहरी मियां की पूरी जिंदगी मसलके आला हजरत को आगे बढ़ाने में गुजरी। अजहरी मियां का जन्म दो फरवरी 1943 को हुआ था। उनकी शुरुआती तालीम मदरसा दारूल उलूम मंजरे इस्लाम मे हुई उन्होंने यहां पर उर्दू के अलावा फारसी की भी तालीम हासिल की।1952 में इस्लामिया इंटर कॉलेज में दाखिला लेकर उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी की भी तालीम हासिल की। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो 1963 में मजहबी तालीम हासिल करने के लिए मिस्र के शहर काहिरा की विश्व प्रसिद्ध अजहरिया यूनिवर्सिटी चले गए और वहां से तालीम लेने के बाद 1966 में वापस लौटे, तभी से उनके नाम के आगे अजहरी लग गया।
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अजहरी मियां के निधन पर तमाम राजनैतिक हस्तियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान, सपा नेता आजम खान, केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने अजहरी मियां के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें खिराजे अकीदत पेश की है।
अजहरी मियां के निधन पर तमाम राजनैतिक हस्तियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान, सपा नेता आजम खान, केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने अजहरी मियां के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें खिराजे अकीदत पेश की है।