डेढ़ सौ गाड़ियों में घोटाले का आरोप
150 से अधिक बसों में गैरजरूरी काम दिखाकर बिल पास कराए गए। मामले के उजागर होने के बाद परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि संबंधित फर्म के भुगतान से दो बार में सात लाख रुपये की कटौती की गई है। बरेली और रुहेलखंड डिपो की बसों की मरम्मत का काम एक निजी फर्म को सौंपा गया था। मरम्मत के बाद फर्म द्वारा बसों के नंबर और किए गए कार्यों का विवरण देते हुए बिल जमा किया जाता है। इन बिलों का सत्यापन डिपो के सीनियर फोरमैन और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (एआरएम) द्वारा किया जाता है। इसके बाद सेवा प्रबंधक की मंजूरी से भुगतान किया जाता है।फर्जी बिलों का सिलसिला
पिछले छह महीनों में बरेली डिपो में मरम्मत के नाम पर फर्जी बिल तैयार किए गए।बस संख्या यूपी 25 बीडी 1990 अगस्त में दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद 15 दिन तक थाने में खड़ी रही, लेकिन डिपो में उसकी मरम्मत के लिए बिल पास कर दिया गया।
चार बसें (1705, 1754, 1620 और 3045) डिपो के बेड़े में मौजूद ही नहीं थीं, फिर भी उनकी मरम्मत के नाम पर बिल बनाकर पास किया गया। कई बसों में गैरजरूरी काम दर्शाते हुए भुगतान किया गया।
सीनियर फोरमैन ने मानी गड़बड़ी
सीनियर फोरमैन नवाबुद्दीन ने माना कि फर्जी बिल पास किए गए। उन्होंने कहा, “थाने में खड़ी बसों और गैरमौजूद गाड़ियों की मरम्मत के नाम पर गड़बड़ी की गई। मैंने इस मुद्दे पर उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया है।”असामान्य मरम्मत कार्य
बीएस-6 श्रेणी की नई बसों में उन पुर्जों की मरम्मत के बिल पास किए गए, जो इन गाड़ियों में होते ही नहीं। जिन बसों में एक फैन बेल्ट होती है, उनके लिए दो फैन बेल्ट के बिल पास कर दिए गए। बिना कमानी वाली बसों में भी कमानी का काम दिखाया गया।