बरेली

एनएचएआई के परियोजना निदेशक और पर्यवेक्षण अधिकारी निलंबित, 50 करोड़ के घोटाले में की गई कार्रवाई

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के चेयरमैन संतोष यादव ने घोटाले में बरेली खंड के परियोजना निदेशक (पीडी) रहे बीपी पाठक और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी संभालने वाले लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) संजीव कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है।

बरेलीAug 26, 2024 / 03:25 pm

Avanish Pandey

बरेली। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के चेयरमैन संतोष यादव ने घोटाले में बरेली खंड के परियोजना निदेशक (पीडी) रहे बीपी पाठक और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी संभालने वाले लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) संजीव कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है। साथ ही ईओडब्ल्यू, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) या स्टेट विजिलेंस से जांच कराने के लिये यूपी के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।
बरेली पीलीभीत सितारगंज फोरलेन पर सबसे ज्यादा गड़बड़ी
71 किमी के प्रस्तावित बरेली पीलीभीत-सितारगंज फोरलेन पर सबसे ज्यादा गड़बडी मिली है। इस प्रोजेक्ट के लिए 2021 में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके बाद वर्ष 2022 में बीपी पाठक बतौर परियोजना अधिकारी नियुक्त हुए। तत्कालीन परियोजना अधिकारी, कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से पीलीभीत से सितारगंज (उत्तराखंड) के बीच के बीच कृषि भूमि पर आनन-फानन कई भवन बनवाये गये। टीन शेड डालकर उनका भू उपयोग परिवर्तित कर अधिक मुआवजा लिया गया। नियमानुसार कृषि भूमि की तुलना में आवास का अधिक मुआवजा मिलता है। इसका लाभ लेने के लिए पूरा रैकेट बनाया गया था।
लाल फाटक और झुमका तिराहा रोड पर हुआ मुआवजे का खेल

प्रस्तावित मार्ग पर भवन बने और उनके लिए मुआवजा भी 15-15 दिनों के अंदर ही जारी कर दिया गया। इससे ध्यान भटकाने के लिए पीलीभीत शहर से सटे क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू कराने का दिखावा शुरू किया गया, जबकि वहां भूमि का अधिग्रहण ही नहीं हुआ था। जांच कमेटी ने ऐसे कई बिंदुओं पर रिंग रोड पर भी भूमि उपयोग बदला। इसी तरह बरेली के रजऊ परसपुर से लालफाटक रोड तक 12 किमी और झुमका तिराहे से रामगंगा तिराहे तक करीब 18 किमी का रिंग रोड प्रस्तावित है। इसके 18 किमी वाले रूट पर भी अधिक मुआवजा के लिए खेल शुरू किया गया। वहां भी अधिग्रहण से पहले कृषि भूमि पर अस्थायी भवन बनवाए गए। इस प्रोजेक्ट की भी जांच मुख्यालय से हुई थी।
पीडी का ओड़िसा हो चुका है ट्रांसफर

गड़बड़ी में घिरे तत्कालीन परियोजना अधिकारी बीपी पाठक का कुछ समय पहले ओड़िशा ट्रांसफर हो चुका। उन्होंने फोन पर बताया कि निलंबन की सूचना मिली है मगर, इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। सितारगंज प्रोजेक्ट कर गजट व अधिग्रहण प्रक्रिया मेरे कार्यकाल से पहले हो चुकी थी। मैंने तो प्रोजेक्ट को तेजी से शुरू कराया था।

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