बरेली लोकसभा की चुनावी डगर काफी मुश्किल थी। हालात ये थे कि भाजपा संगठन के कुछ बड़े पदाधिकारियों, संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को छत्रपाल गंगवार का चुनाव लड़ाने से मना कर दिया गया था। यही वजह रही कि छत्रपाल गंगवार की चुनावी कैंपेनिंग में संगठन के काफी कम नेता दिखे। चुनावी चंदे भी शहर के उद्योगपतियों और व्यापारियों ने अपने हाथ खींच लिये। पहली बार ऐसा हुआ कि भाजपा के बरेली लोकसभा प्रत्याशी को चुनावी खर्चे में काफी कम लोगों ने सहयोग किया। बड़े व्यापारी, कारोबारी और उद्योगपति किसी के प्रभाव में आकर बरेली लोकसभा सीट को हारा मानकर चल रहे थे। लेकिन बरेली की सीट ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। बरेली की राजनीतिक साजिश के कीचड़ को चीरकर कमल खिल गया, भितरघात करने वाले नेता बेनकाब हो गये।
2009 में प्रवीन सिंह ऐरन ने कांग्रेस के टिकट पर बरेली लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार की लगातार जीत का तिलिस्म तोड़ा था। प्रवीन सिंह ऐरन को 2009 में 220976, संतोष गंगवार को 211638 वोट मिले थे। इस्लाम साबिर को 181996 और भगवत सरन गंगवार को 73544 वोट मिले थे। प्रवीन सिंह ऐरन ने संतोष गंगवार को करीब 9338 वोटों से चुनाव हरा दिया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रवीन सिंह ऐरन को 532323 वोट मिले, लेकिन वह 34804 वोटों से भाजपा के छत्रपाल गंगवार से चुनाव हार गये।