बरेली

विदेशी फंडिंग से लव जिहाद, भारत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसा माहौल बनाने की साजिश, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दी उम्र कैद की सजा

लव जिहाद के एक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मो. आलिम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने मो. आलिम के पिता साबिर उर्फ रफीक अहमद को भी दोषी पाया है। उन्हें पीड़िता को अपमानित करने के जुर्म में दो साल की कैद की सजा सुनाई है।

बरेलीOct 29, 2024 / 04:28 pm

Avanish Pandey

स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट, रवि कुमार दिवाकर ( फोटो )

बरेली। लव जिहाद के एक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मो. आलिम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने मो. आलिम के पिता साबिर उर्फ रफीक अहमद को भी दोषी पाया है। उन्हें पीड़िता को अपमानित करने के जुर्म में दो साल की कैद की सजा सुनाई है। यह फैसला स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट, रवि कुमार दिवाकर ने सुनाया। उन्होंने कहा कि भारत में लव जिहाद विदेशी फंडिंग से सोची समझी साजिश से किया जा रहा है। भारत में एक समुदाय विशेष की जनसंख्या बढ़ाकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसा माहौल बनाने की साजिश है।
मामले की शुरुआत: झूठी पहचान और विश्वासघात
बरेली के राजेंद्र नगर की रहने वाली एक युवती कंप्यूटर कोचिंग के लिए जाती थी। वहीं, भैरपुरा जादौपुर का रहने वाला मो. आलिम, जो अपना नाम आनंद बताता था और हिंदू प्रतीक के रूप में अपने हाथ में कलावा बांधता था, उससे मिला। यह फर्जी पहचान बनाने का उद्देश्य था कि वह पीड़िता को यह विश्वास दिला सके कि वह हिंदू है। धीरे-धीरे वे दोनों एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो गए। अपनी झूठी पहचान के बल पर, आनंद के रूप में आलिम ने युवती का विश्वास हासिल किया और उससे शादी की बात कहकर उसके साथ रिश्ते में आ गया।
राधा कृष्ण मंदिर में जाकर मांग में भरा था सिंदूर
13 मार्च 2022 को आलिम ने पीड़िता को बाईपास रोड स्थित राधा कृष्ण मंदिर में ले जाकर उसकी मांग में सिंदूर भर दिया, जिससे पीड़िता को यह विश्वास हो सके कि वह उससे विवाह कर चुका है। शादी के इस धोखे के बाद, आलिम ने उसे रुहेलखंड विश्वविद्यालय के पास अपने दोस्त तालिम के कमरे पर ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। यह केवल शारीरिक संबंध तक ही सीमित नहीं रहा, आलिम ने उसकी अश्लील वीडियो और तस्वीरें भी खींचीं, जिनका इस्तेमाल उसने उसे बार-बार ब्लैकमेल करने के लिए किया।
ब्लैकमेल और शारीरिक शोषण
आलिम ने पीड़िता को कई बार 100 फुटा रोड स्थित एक होटल में ले जाकर जबरन शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने बताया कि आलिम ने उसे पूरी तरह से अपने नियंत्रण में कर लिया था। धमकियों और ब्लैकमेलिंग के चलते वह उसकी इच्छाओं के खिलाफ जाकर भी उसके साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर हुई। इन लगातार बलात्कार और शारीरिक शोषण के दौरान पीड़िता गर्भवती हो गई। जब उसने आलिम को इस बारे में बताया, तो उसे उसके असली चेहरे का पता चला। पीड़िता का दावा है कि एक दिन जब वह आलिम के घर भैरपुरा जादौपुर पहुंची, तब उसे वहां जाकर पता चला कि आनंद का असली नाम मो. आलिम है। इस सच ने पीड़िता को हिलाकर रख दिया, और उसे यह एहसास हुआ कि वह जिस व्यक्ति पर इतना विश्वास कर रही थी, वह वास्तव में धोखेबाज था।
आलिम का परिवार और गर्भपात की साजिश
जब पीड़िता आलिम के घर पहुंची, तो वहां उसका पूरा परिवार मौजूद था, जिसमें उसके पिता साबिर, भाई बाजिद, नाजिम, बहन शिफा और उसकी मां शामिल थीं। परिवार ने पीड़िता को सुझाव दिया कि पहले उसका गर्भपात कराया जाए, फिर धर्म परिवर्तन करवाकर उससे निकाह कर लिया जाए। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो परिवार ने उसके साथ गाली-गलौज और मारपीट की। इसके बाद उसे जान से मारने की धमकी दी और धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया गया। 5 मई 2023 को, आलिम ने पीड़िता को गर्भपात कराने के लिए चाय में दवाई मिलाकर पिला दी, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। पीड़िता ने कहा कि आलिम ने उसे 11 मई 2023 को फिर से उसके घर बुलाया और इस बार भी उसके परिवार वाले वहां मौजूद थे। उन्होंने उसे आलिम के साथ हाफिजगंज स्थित एक नर्सिंग होम में भेजा, जहां आलिम ने उसका जबरन गर्भपात करवा दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद, आलिम ने उसे धमकी दी कि अगर उसने किसी को इस बारे में बताया तो वह उसे और उसके परिवार को जान से मार देगा।
पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट की सुनवाई
जब पीड़िता ने इस अत्याचार की शिकायत की, तो पुलिस ने मो. आलिम और उसके परिवार के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस की विवेचना के बाद, आलिम के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट, धमकी देने और उसके पिता साबिर के खिलाफ पीड़िता को अपमानित करने के आरोपों में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई।इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की गई, जहां सरकारी वकील दिगंबर पटेल ने आरोप सिद्ध करने के लिए कुल छह गवाह पेश किए। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आलिम ने कैसे पीड़िता को झूठ बोलकर धोखा दिया और उसके साथ बलात्कार किया। इस बात के पुख्ता सबूत भी पेश किए गए कि आलिम ने पीड़िता का गर्भपात कराया और उसे ब्लैकमेल करता रहा।
कोर्ट का फैसला
स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट, रवि कुमार दिवाकर ने इस मामले की गहनता से जांच के बाद मो. आलिम को दोषी करार दिया। कोर्ट ने आलिम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने यह माना कि आलिम ने पीड़िता के साथ विश्वासघात किया और उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया।इसके अलावा, आलिम के पिता साबिर उर्फ रफीक अहमद को भी दोषी पाया गया और उन्हें पीड़िता को अपमानित करने के अपराध में दो साल की कैद की सजा सुनाई गई।
इस केस का सामाजिक और कानूनी महत्व
यह मामला केवल एक आपराधिक कृत्य का नहीं है, बल्कि समाज में बढ़ रहे लव जिहाद और धोखे के माध्यम से युवतियों का शोषण करने वाले लोगों के खिलाफ एक कड़ा संदेश भी है। इस केस में कोर्ट ने दिखाया कि चाहे अपराधी कितनी भी चालाकी और धोखे से अपराध करे, कानून की नजर से बचना नामुमकिन है।इस मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया और यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता को न्याय मिले। यह फैसला न केवल पीड़िता के लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण बनेगा जो ऐसे अपराधों के शिकार होते हैं।

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