ये भी पढ़ें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल संतोष गंगवार के बारे में पढ़िए पूरी जानकारी आंवला में कभी नहीं जीती बसपा 2014 के चुनाव में आंवला में समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर थी बावजूद इसके ये सीट बसपा के खाते में गई। 2014 के चुनाव में सपा-बसपा को यहाँ कुल 4,61,678 वोट मिले थे जबकि इस बार के चुनाव में यहाँ पर बसपा प्रत्याशी को पिछले बार के कुल वोट से कम 4,23,932 वोट ही मिले। जबकि भाजपा के वोट प्रतिशत में जबरदस्त इजाफा हुआ। भाजपा को जहाँ 2014 के चुनाव में 41.16 प्रतिशत वोट मिले थे वहीँ इस बार के चुनाव में भाजपा को 51.07 प्रतिशत वोट मिले। यानि की आंवला में सपा का वोट बसपा को पूरी तरह से ट्रांसफर नहीं हुआ और बसपा के वोट बैंक में भी भाजपा ने सेंध लगाई। जिसके कारण भाजपा करीब 10 प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल कर पाई।
ये भी पढ़ें नरेन्द्र मोदी ने संतोष गंगवार पर भरोसा जताया, फिर से मंत्री बनाया शाजहांपुर का भी यही हाल शाजहांपुर सीट पर 2014 में बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर था और इस बार के चुनाव में ये सीट बसपा के खाते में गई थी और बसपा प्रत्याशी को 420572 वोट मिले जबकि पिछले चुनाव में सपा-बसपा को कुल 5,32,516 वोट मिले थे जबकि भाजपा को 5,25,132 वोट मिले थे यानि की 2014 के चुनाव में गठबंधन को भाजपा से ज्यादा वोट मिले थे और गठबंधन को उम्मीद थी कि ये सीट उनके खाते में जाएगी लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा ने यहाँ पर मंडल की सबसे बड़ी जीत हासिल की और भाजपा के वोट प्रतिशत में करीब 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ। पिछले चुनाव में भाजपा को 46.45 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे और इस बार भाजपा को 58.09 प्रतिशत वोट हासिल हुए।
ये भी पढ़ें नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण से पहले तलाक पीड़ित महिलाओं ने राहुल गांधी को भेजी चूड़ियां 1996 के बाद सपा को मिली हार अगर समाजवादी पार्टी के लिहाज से देखें तो उसे सबसे तगड़ा नुकसान अपनी परम्परागत सीट बदायूं पर हुआ और यहाँ पर अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव हार गए। धर्मेंद्र यादव को पिछले चुनाव से भी कम वोट हासिल हुए। धर्मेंद्र यादव को इस बार 4,92,898 वोट हासिल हुए जबकि पिछले चुनाव में धर्मेंद्र यादव को 4,98,378 वोट मिले थे। 2014 में बसपा को बदायूं में 1,56,973 वोट मिले थे। लेकिन इस बार के चुनाव में सपा को पिछले चुनाव से भी कम वोट मिले अगर इस बार के चुनाव में बसपा के पिछले चुनाव में मिले वोट को जोड़ दिया जाए तो धर्मेंद्र यादव यहाँ से चुनाव जीत जाते लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने दोनों ही पार्टियों के वोटों में जबरदस्त सेंध लगाई। भाजपा को 2014 के चुनाव में 32.31 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे जबकि इस बार भाजपा को 45.59 प्रतिशत वोट हासिल हुए।