बरेली

नगर आयुक्त ने भाजपा नेताओं को दिखाई ताकत, डिप्टी मेयर और पार्षद धरने पर बैठे

नगर निगम के पार्षद और व्यापारी नेता पर मुकदमा दर्ज होने के बाद शनिवार को नगर निगम के पार्षद धरने पर बैठ गए।

बरेलीJun 01, 2019 / 06:29 pm

jitendra verma

नगर आयुक्त ने भाजपा नेताओं को दिखाई ताकत, डिप्टी मेयर और पार्षद धरने पर बैठे

बरेली। जिले में एक बार फिर जनप्रतिनिधियों और नौकरशाही के बीच घमासान शुरू हो गया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद कई बार सत्ता पक्ष से जुड़े नेता और अफसर आमने सामने आ चुके है। इस समय मेयर उमेश गौतम और नगरायुक्त सैमुअल पॉल एन के बीच जंग छिड़ी हुई है और बरेली का नगर निगम राजनीति का अखाड़ा बन चुका है। नगर निगम के पार्षद और व्यापारी नेता पर भ्र्ष्टाचार का मुकदमा दर्ज होने के बाद शनिवार को नगर निगम के पार्षद धरने पर बैठ गए।
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councilors protest against Municipal Commissioner” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/06/01/img-20190601-wa0027_4652338-m.jpg”>नगर निगम बना जंग का अखाड़ा
नगर आयुक्त आईएएस अफसर सैमुअल पॉल एन के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे डिप्टी मेयर और पार्षदों ने जमकर नारेबाजी की। दरअसल नगर आयुक्त की पहल पर पोर्टेबल शॉप आवंटन की सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच की थी जांच के बाद शहरकोतवाली में पार्षद विनोद सैनी और व्यापारी नेता दर्शन लाल भाटिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। आरोप है कि इन लोगो ने अन्य लोगों के साथ मिलकर नो वेंडिंग जोन में पोर्टेबल शॉप फड़ व्यपारियो से पैसे लेकर लगवा दी। जिसकी जानकारी नगर निगम को नही थी। मामला संज्ञान में आने के बाद रातो रात पोर्टेबल शॉप हटवा दी गई। मामले में डीएम के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच की और जांच रिपोर्ट आने के बाद कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवा दी गई। एफआईआर के बारे में जानकारी होते ही तमाम पार्षद और डिप्टी मेयर अनिश्चितकालीन धरने पर नगर आयुक्त के ऑफिस के बाहर बैठ गए है। मेयर उमेश गौतम का कहना है कि उन्होंने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री से की है।
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पहले भी कई बार आए आमने सामने

ये कोई पहला मौका नहीं है जब सत्ता पक्ष के नेता और अफसरों के बीच टकराव हुआ है इसके पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है। सबसे बड़ा विवाद बिथरी चैनपुर के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल और एसएसपी मुनिराज के बीच हुआ था। कांवड़ यात्रा को लेकर हुए इस विवाद में पुलिस ने विधायक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी और उन्हें नजरबंद कर दिया गया था इतना ही नहीं विधायक के घर पर पुलिस ने दबिश भी मारी थी। इस मामले ने प्रदेश भर में सुर्खियां बटोरी थी। जिला अस्पताल में भी सत्ता पक्ष के नेता और कर्मचारियों में विवाद के बाद जमकर हंगामा हुआ था और नेताओं को अस्पताल से भागना पड़ा था।
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