आरटीओ विभाग से हर सीरीज में साढ़े तीन सौ वीआईपी और वीवीआईपी नंबर जारी होते हैं। जिसमें से 0001 और 9999 जैसे अन्य नंबरों का आधार मूल्य एक लाख रुपये तक का होता है। जिनका आवंटन ऑनलाइन बोली के माध्यम से किया जाता है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 15 से अधिक सीरीज में चुनिंदा नंबर ही बिक पाए हैं। जबकि अन्य वीआईपी व वीवीआईपी नंबरों की कोई बोली नहीं लगी है। जिसके चलते उन्हें फ्रीज किया गया है। ऐसे में चार हजार से अधिक नंबर न बिक पाने से विभाग को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ है।
एआरटीओ प्रशासन मनोज सिंह ने बताया कि सितंबर 2019 में वाआइपी नंबरों का आधार मूल्य बढ़ने के बाद से मांग कम हुई, जबकि पहले नंबरों के लिए मारामारी होती थी। जबकि अब लोग बोली ही नहीं लगा रहे हैं। जिससे विभाग को नुकसान हो रहा है।