विभिन्न देशों से टीमों की ऑनलाइन भागीदारी
क्लासिक कॉलेज ऑफ लॉ के सचिव और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्य, शिरीष मेहरोत्रा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में देश-विदेश की 30 टीमों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में आंध्र प्रदेश, नेपाल, जम्मू-कश्मीर, अमेठी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, शिमला और ग्वालियर समेत भारत के 12 राज्यों के छात्रों ने हिस्सा लिया, जबकि तुर्की, साउथ अफ्रीका, मॉरीशस, बांग्लादेश और इंडोनेशिया से टीमें ऑनलाइन माध्यम से जुड़ीं।मूट कोर्ट का महत्व
शिरीष मेहरोत्रा ने प्रतियोगिता में बताया कि मूट कोर्ट के माध्यम से विद्यार्थी तर्कों के आधार पर मुकदमे की सुनवाई और निर्णय प्रक्रिया को समझ सकते हैं। प्रतियोगिता का उद्घाटन जिला जज विनोद कुमार दुबे और न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने किया। शिरीष मेहरोत्रा ने कहा कि मूट कोर्ट प्रतियोगिताएं कानूनी शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो छात्रों को व्यावहारिक कौशल और वास्तविक दुनिया का अनुभव प्रदान करती हैं। इन आयोजनों में छात्रों को न्यायाधीशों के एक पैनल या नकली न्यायालय के समक्ष तर्क प्रस्तुत करने का मौका मिलता है, जिससे वे आत्मविश्वास और कानूनी विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।कानूनी शोध और लेखन कौशल में सुधार
इस दो दिवसीय प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों को एक काल्पनिक कानूनी मुद्दा दिया गया, जिस पर उन्हें शोध कर तर्क प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी। इस तरह के आयोजन कानूनी शोध और लेखन कौशल को विकसित करने का अवसर भी प्रदान करते हैं।प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में जिला जज
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में जिला जज विनोद कुमार दुबे, पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश जेपी यादव, सीजेएम अल्का पांडेय, बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एसके गौड़, और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य जितेंद्र शर्मा शामिल रहे।क्लासिक कॉलेज ऑफ लॉ में आयोजित इस मूट कोर्ट प्रतियोगिता ने छात्रों को कानूनी ज्ञान में वृद्धि करने और अपने व्यावहारिक कौशल को निखारने का अवसर प्रदान किया।