एस एंड सी कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि हम लोग 24 साल से संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान हमारे कई कर्मचारीयों की मृत्यु हो चुकी है। उनकी विधवाओं, लड़कियों ने जीवन व्यतीत करने में काफी परेशानी हुई है। कई कर्मचारियों ने आत्महत्या भी की है। इस गंभीर लड़ाई में शासन और प्रशासन से लेकर हमने अपनी आवाज और मजदूरों के वर्चस्व को रखा है। लेकिन अभी तक उनसे कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला। जिस समय फैक्ट्री बंद हुई थी। उस समय भी आरसी सरकार के पास थीं। तब यह विवाद बांबे हाई कोर्ट में केस लंबित चल रहा है। अल्केमिस्ट कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने इस विवाद में बैक डोर से एंट्री कर बैठा। इसकी नीयत और नीति बेकार है। इसने केस को लंबा करने में अहम भूमिका अदा की है। केवल उनकी मंशा केस को लंबा करने में थी। उन्होंने सोचा कि मजदूर जब तक रहेंगे तब तक हमारी मोनोपोली होगी। हम जो चाहे वो करेंगे। हम यहां पर आज एकत्रित इसलिए हुए हैं क्योंकि अब हाईकोर्ट के निर्णय से केस में सरकार का पक्ष मजबूत हुआ है। सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि जो 24 साल से कर्मचारी संघर्ष कर रहे हैं। उनको अब उनकी वैधानिक देनदारी जो कानूनन बनती है। कानून का पालन करते हुए सरकार भुगतानों को सुनिश्चित और सुरक्षित कराए।
कर्मचारी यूनियन ने फूल मालाओं से किया स्वागत एस एंड सी कर्मचारी यूनियन की रामपुर गार्डन के अग्रसेन पार्क में आज बैठक आयोजित हुई। बैठक में फैक्ट्री के कई कर्मचारी, कर्मचारियों की विधवाएं, कर्मचारियों की लड़कियां मौजूद रहीं। सभी के चेहरों पर खुशी की झलक दिखी और फूल मालाओं से सभी का स्वागत हुआ। रबर फैक्ट्री की जमीन अब राज्य सरकार के पाले में आ गई है। अब कर्मचारियों को उनका भुगतान जल्द ही मिलेगा। इस दौरान सभा में सैकड़ों की संख्या में रबर फैक्ट्री कर्मचारियों की विधवाओं ने भाग लिया। कर्मचारियों में अनिल गुप्ता, धनी राम, बालक राम, गजेंद्र सिंह, अजय भटनागर, आरसी सिंह, आरसी शर्मा, संत प्रकाश शर्मा, हरीश, प्रमोद कुमार, ओमप्रकाश, सुभाष आहूजा, जफरूद्दीन, अजय वर्मा, अनंत श्रीवास्तव, रामदेव मौजूद रहे।